भारत बाढ़ को कम करने और जल संरक्षण के लिए मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु समेत सात शहरों में झीलों जैसे जल निकायों का विस्तार करने और नालियों के निर्माण के लिए अगले दो वर्षों में लगभग 25 अरब रुपये खर्च करेगा.मॉनसून के दौरान भारत के महानगरों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. कई बार मूसलाधार बारिश तो जानलेवा भी हो जाती है. बारिश के मौसम में मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहरों में सड़कें डूब जाती हैं और आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
भारतीय शहरों में हर मॉनसून में बाढ़ आना, जो अक्सर जानलेवा होती है, आम बात है. देश में तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण शहर की झीलें खत्म हो रही हैं और नालियां कचरे से जाम हो जाती हैं.
गर्मी में जल संकट, बारिश में बाढ़ की समस्या
हाल के सालों में ऐसी बाढ़ से पहले पानी की भारी कमी देखी गई है, खास तौर पर दिल्ली और बेंगलुरु में, जहां पानी के भंडारण की जगहें कम हो गई हैं. इसी साल बेंगलुरु में मॉनसून के पहले पानी का ऐसा संकट खड़ा हो गया था कि लोगों को निजी टैंकरों से जरूरी काम के लिए पानी ऊंचे दाम पर खरीदना पड़ा.
ऐसा ही कुछ हाल देश की राजधानी दिल्ली में भी जून के महीने में देखने को मिला. जून में भीषण गर्मी के कारण जल संकट इतना गहरा गया था कि लोगों को पानी के लिए कतारों में खड़ा होना पड़ा. बेंगलुरु की तरह दिल्ली के लोगों को भी पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर होना पड़ा था.
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने जून में चेतावनी दी थी कि भारत में पानी की बढ़ती समस्या देश की विकास दर को प्रभावित कर सकती है, जो अप्रैल-मार्च वित्तीय वर्ष में अनुमानित 7.2 प्रतिशत है. यह प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है.
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जल आपूर्ति में कमी से कृषि उत्पादन और औद्योगिक कार्य प्रभावित हो सकते हैं, नतीजतन खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं. उसके मुताबिक यह उन क्षेत्रों की ऋण क्षमता के लिए हानिकारक हो सकता है, जो भारी मात्रा में जल का इस्तेमाल करते हैं.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के तीन सदस्यों में से एक कृष्णा एस वत्स ने कहा कि केंद्र सरकार के खर्च, जल निकायों पर केंद्रित पहला बाढ़ नियंत्रण उपाय, हाल ही में मंजूर किया गया था और इसमें पूर्व चेतावनी प्रणाली भी शामिल की जाएगी.
नई सड़कें, इमारतें एक-दो बरसात भी क्यों नहीं झेल पा रही हैं
मॉनसून के दौरान बड़े शहरों का बुरा हाल
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, "यह शहरों में बाढ़ की रोकथाम के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपायों में से एक बन सकता है."
उन्होंने बताया कि 25 अरब रुपये में से मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को पांच-पांच अरब रुपये मिलेंगे, जबकि अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलुरु और पुणे में से हरेक को ढाई अरब रुपये मिलेंगे. राजधानी दिल्ली के लिए कोई आवंटन नहीं किया गया, क्योंकि शहरों का चयन बाढ़ की आवृत्ति और वहां होने वाले नुकसान के आकलन के आधार पर किया गया था.
हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि लंबे समय के उपाय भी आवश्यक हैं, विशेषकर इसलिए क्योंकि देश में कम समय में ही भारी मात्रा में बारिश हो रही है.
इसी साल 8 जुलाई को वित्तीय राजधानी मुंबई में छह घंटे के दौरान 300 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई थी.
वत्स ने कहा, "जब भी किसी शहर में 100 मिलीमीटर बारिश होती है, तो वहां जलभराव होना तय है. आपको लगातार एक निश्चित स्तर के निवेश की आवश्यकता होती है, जो कई तरह के प्रशासनिक उपायों में काम आता है, ताकि समस्या को कम किया जा सके."
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 2031 तक घटकर 1,367 घन मीटर रह जाएगी. 2011 से ही भारत 'जल तनाव' की स्थिति में है. जल तनाव की स्थिति तब पैदा होती है जब किसी अवधि में जल की मांग उपलब्ध जल की मात्रा से अधिक हो जाती है या जब जल की खराब गुणवत्ता इसके इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर देती है.
एए/वीके (रॉयटर्स)