MQ-9B Drone: भारत को घातक हाईटेक ड्रोन देगा अमेरिका, दुश्मनों के छक्के छुड़ा देगा ये 'आयरन मैन'! 3.99 अरब डॉलर की डील पक्की

अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को एक बड़े सैन्य सौदे की मंजूरी दे दी है. विभाग ने भारत को MQ-9B रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (ड्रोन) और उससे जुड़े उपकरणों की बिक्री को संभावित तौर पर मंजूरी दे दी है.

वाशिंगटन, 1 फरवरी: अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को एक बड़े सैन्य सौदे की मंजूरी दे दी है. विभाग ने भारत को MQ-9B रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (ड्रोन) और उससे जुड़े उपकरणों की बिक्री को संभावित तौर पर मंजूरी दे दी है. इस सौदे की अनुमानित लागत 3.99 अरब डॉलर (लगभग 32,000 करोड़ रुपये) बताई जा रही है.

अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) के अनुसार, इस सौदे में छह एमक्यू-9बी गार्जियन और छह एमक्यू-9बी सीगार्जियन ड्रोन, जमीनी नियंत्रण स्टेशन, हथियार, संचार उपकरण और स्पेयर पार्ट्स शामिल हैं

जो बाइडेन प्रशासन ने गुरुवार को अमेरिकी कांग्रेस को 31 एमक्यू-9बी हेल सशस्त्र ड्रोन की प्रस्तावित बिक्री के बारे में सूचित किया, जिससे अनौपचारिक समीक्षा की अवधि को मंजूरी दे दी गई, जिससे इस सौदे के किसी प्रकार के खतरे में होने की चिंता बढ़ गई थी.

> है MQ-9B ड्रोन?<

MQ-9B एक हाई-एल्टीट्यूड, लॉन्ग एंड्यूरेंस (HALE) ड्रोन है, जो लंबे समय तक हवा में रहकर निगरानी और हमला दोनों कर सकता है. यह ड्रोन अत्याधुनिक सेंसर और हथियार से लैस होता है, जिससे इसे युद्ध के मैदान में एक महत्वपूर्ण हथियार माना जाता है.

>भारत को क्यों चाहिए ये ड्रोन?<

भारत की सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन से लगातार तनाव बना रहता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये ड्रोन सीमा पार की निगरानी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भारत को काफी मदद दे सकते हैं. इसके अलावा, हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भी भारत के लिए ये ड्रोन महत्वपूर्ण हो सकते हैं.

31 एमक्यू-9बी यूएवी में से 15 सी गार्डियन भारतीय नौसेना के लिए हैं, और आठ-आठ भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना के लिए हैं. भारत इस समय कंपनी के स्वामित्व वाले, कंपनी संचालित लीज समझौते में इनमें से दो सशस्त्र ड्रोन का उपयोग कर रहा है. इन ड्रोनों का उपयोग अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, स्पेन, बेल्जियम और जापान द्वारा किया जा रहा है.

भारत इन ड्रोनों को विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से सरकार-से-सरकारी सौदे में खरीद रहा है, जिसे 15, 30 या 45 दिनों की वैधानिक अवधि के बाद कांग्रेस द्वारा मंजूरी दी जानी चाहिए.

विशेषज्ञों का मानना है कि ये ड्रोन भारत की सीमाओं की निगरानी और सीमा पार से होने वाली घुसपैठ रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं. साथ ही आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी इनका अहम रोल हो सकता है.

Share Now

\