मुंबई: आजादी के 70 साल बाद अब जाकर हर भारतीय के लिए यह गर्व करनेवाली खबर आई है. हालिया एक अध्ययन में कहा गया है कि हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीबी की श्रेणी से बाहर निकल रहे हैं. वहीँ 2030 तक देश से गरीबी का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा और देश में कोई भी गरीब नहीं रह जाएगा. अत्यंत गरीबी के दायरे में वह आबादी आती है जिसके पास जीवनयापन के लिए रोजाना करीब 125 रुपये भी नहीं होते.
ब्रुकिंग्स के 'फ्यूचर डिवेलपमेंट' ब्लॉग में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बहुत तेजी से गरीबी घट रही है जो दुनिया के किसी भी देश से काफी अधिक है. यही वजह है कि भारत का अत्यंत गरीब आबादी वाला तमगा अब नाइजीरिया के हिस्से चला गया है.
अध्ययन के मुताबिक, भारत में गरीबों की मौजूदा स्थिति को पिछले 10 सालों के रिकॉर्ड से तुलना की जाए तो भारत काफी तेजी से तरक्की कर रहा है. भारत में अत्यंत गरीब जनसंख्या वाले लोगों का दायरा साल 2022 तक 3 फीसदी रहने की उम्मीद है.
इस अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2018 में उनकी ट्रैजक्टरीज से पता चला है कि भारत में 7 करोड़ 30 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं. वहीं इनकी संख्या नाइजीरिया में 8 करोड़ 70 लाख है यानि यहां हर मिनट 6 लोग भीषण गरीबी की ओर जा रहे हैं.
ज्ञात हो कि देश में 5.5 करोड़ लोग इलाज पर खर्च की वजह से पिछले साल गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गए थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक 3.8 करोड़ लोग सिर्फ दवाओं पर पैसा खर्च करने की वजह से गरीब हो गए. गैर संचारी रोग जैसे कैंसर, दिल से संबंधित रोग और मधुमेह के शिकार रोगियों पर प्रभावित परिवारों ने सबसे ज्यादा खर्च किए. इनमें भी खासतौर पर कैंसर रोगियों पर खर्च की वजह से ज्यादातर परिवार तबाह हो गए.
विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा में सबसे ज्यादा गरीब लोग रहते हैं. इन राज्यों में देश की 62 फीसदी गरीब जनता रहती है. वैसे इन राज्यों में देश की 45 फीसदी जनता रहती है. रिपोर्ट के अनुसार, देश की 27 करोड़ से अधिक आबादी गरीबी में अपना जीवन व्यतीत कर रही है.