फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्मों पर सरकारी अधिकारियों की लोकप्रियता खूब बढ़ रही है. कई अधिकारियों को लाखों लोग फॉलो करते हैं. सोशल मीडिया इस्तेमाल करने को लेकर अधिकारियों के लिए क्या नियम हैं.आईएएस अधिकारी दीपक रावत एक स्कूल बस में चेकिंग करने के लिए घुसते हैं. सबसे पहले वे बस के कंडक्टर के बारे में पूछते हैं, फिर बच्चों से थोड़ी बातचीत करते हैं. बस में लगे फर्स्ट एड बॉक्स, रिकॉर्डिंग कैमरा, जीपीएस और बस के कागजात देखने के बाद, वे ड्राइवर से भी पूछताछ करते हैं.
इस दौरान पूरे घटनाक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग होती है. 21 दिसंबर 2023 को यह वीडियो ‘दीपक रावत आईएएस' यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किया जाता है. इसे अब तक छह लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं. इस वीडियो में ड्राइवर और सहायिका के अलावा, बस में बैठे बच्चे भी नजर आते हैं.
इस यूट्यूब चैनल पर इसी तरह के सैकड़ों दूसरे वीडियो भी मौजूद हैं. किसी वीडियो में दीपक रावत गंदगी की वजह से रेस्टोरेंट को सील करवाते हुए दिखते हैं, तो किसी में पॉलीथिन गोदाम पर छापा मारते हुए नजर आते हैं.
पूजा खेड़कर मामलाः क्या यूपीएससी की कार्यप्रणाली भी सवाल के घेरे में है?
दीपक उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल कुमांऊ क्षेत्र के संभागीय आयुक्त हैं. हालांकि उनकी लोकप्रियता उत्तराखंड तक सीमित नहीं है. छापामार अभियानों की वीडियो की बदौलत आज वे सोशल मीडिया पर एक जाना-पहचाना नाम बन गए हैं. अब उनका यह तरीका कई दूसरे अधिकारी भी अपना रहे हैं.
इनमें से एक हैं, छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अभिषेक पल्लव. वे सड़क पर चेकिंग करने भी उतरते हैं, तो मीडिया के कैमरे उनके साथ चलते हैं. जब वे किसी व्यक्ति को यातायात नियमों का पालन नहीं करने के लिए फटकार लगाते हैं तो उसकी भी वीडियो रिकॉर्डिंग होती है. बाद में उस वीडियो को लोगों की निजता का ध्यान रखे बिना ही सोशल मीडिया पर डाल दिया जाता है.
लोकप्रियता के लिए सक्रियता से चिंता
विजेंद्र चौहान दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और एक कोचिंग संस्थान के लिए यूपीएससी अभ्यर्थियों के मॉक इंटरव्यू लेते हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू हिंदी को बताया, "अफसरशाही नियमत: वेबर के ब्यूरोक्रेसी मॉडल पर आधारित होती है जिसका सबसे प्रमुख नियम गुमनाम रहना यानी एनोनिमिटी है. अफसरशाही में काम व्यक्ति नहीं पद को करना होता है. इसलिए अफसरों का सोशल मीडिया पर लोकप्रियता के लिए सक्रिय होना (जब तक यह काम के लिए जरूरी ना हो) चिंता जनक है”.
कई सिविल अधिकारी अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी बन चुके हैं. वे इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफार्मों पर अपने प्रशासनिक काम, जिम्मेदारियों और निजी जिंदगी से जुड़े फोटो-वीडियो पोस्ट करते हैं. इसके बदले में हजारों लोग उन्हें फॉलो करते हैं.
बढ़ रही है सोशल मीडिया की जवाबदेही की मांग
2019 बैच की आईएएस अधिकारी सृष्टि देशमुख गौड़ा के इंस्टाग्राम पर 24 लाख फॉलोअर हैं. वहीं, साल 2015 की यूपीएससी परीक्षा टॉप करने वाली टीना डाबी को 16 लाख लोग फॉलो करते हैं. 2008 बैच की आईएएस अधिकारी सोनल गोयल के एक्स (पहले ट्विटर) पर पांच लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं. वहीं, 2009 बैच के आईएएस अधिकारी अविनाश शरण के एक्स पर लगभग छह लाख फॉलोअर हैं.
विजेंद्र चौहान के मुताबिक, "हाल के सालों में खासकर कोरोना काल के बाद से सरकारी अधिकारियों को फॉलो करने का ट्रेंड बढ़ा है. उन्हें लार्जर देन लाइफ देखा जाना शुरू हुआ है. अन्य अवसरों की कमी ने भी सरकारी नौकरी को लेकर समाज में एक कल्ट विकसित किया है.”
सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर अधिकारियों के लिए नियम
आईएएस अधिकारियों की ट्रेनिंग मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में होती है. हाल ही में इस अकादमी ने ट्रेनिंग करने वाले अधिकारयों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं. भारतीय समाचार वेबसाइट ‘द प्रिंट' की खबर के मुताबिक, प्रशिक्षु अधिकारी अब अकादमी से जुड़ा कोई भी डिजिटल कंटेंट बिना अनुमति के ऑनलाइन पोस्ट नहीं कर सकेंगे.
इसी साल फरवरी में, उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों के लिए भी सोशल मीडिया पॉलिसी जारी की गई थी. इसमें कहा गया था कि पुलिसकर्मी ड्यूटी के घंटों में सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेंगे. साथ ही वर्दी पहनकर रील या वीडियो नहीं बनाएंगे. इसलिए अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या सिविल अधिकारियों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने को लेकर भी ऐसे कोई नियम मौजूद हैं.
इरा सिंघल साल 2014 की यूपीएससी टॉपर और एजीएमयूटी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू हिंदी को बताया कि फिलहाल अधिकारियों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने को लेकर कोई नियम-कानून नहीं हैं. वे कहती हैं, "जब कोई व्यक्ति सिविल सेवाओं में आता है तो यह मान लिया जाता है कि वह समझदार है. वह सेवाभाव के साथ आ रहा है. वह सोशल मीडिया को समझदारी के साथ इस्तेमाल करेगा. अपरिपक्व बच्चों जैसी हरकतें नहीं करेगा.”
वहीं, विजेंद्र चौहान बताते हैं कि सीसीएस रूल्स यानी केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली इसे नियमित तो करती है लेकिन इस पर अमल में उतनी चुस्ती नहीं दिखाई जाती. चौहान का कहना है, "ऐसा करने वाला कोई भी अफसर कभी सरकार की आलोचना नहीं करता है, इसलिए सरकार भी दूसरी ओर आंखें फेर लेती है. जबकि आलोचना करने वाले इन्फ्लुएंसरों से सरकार की अनबन रहती है.” वे इसका समाधान बताते हैं कि अधिकारियों के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन होनी चाहिए.
अधिकारी कैसे करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल
आईएएस अधिकारी इरा सिंघल के इंस्टाग्राम पर करीब डेढ़ लाख फॉलोअर हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "मैं अपने सोशल मीडिया अकांउट का इस्तेमाल मुख्य रूप से दो-तीन चीजों के लिए करती हूं. पहला- व्यक्तिगत यादों को सहेजने के लिए, दूसरा- अच्छे संदेश फैलाने के लिए और तीसरा- लोगों की मदद करने के लिए."
वे आगे बताती हैं, "मैं सोशल मीडिया को एक माध्यम के तौर पर इस्तेमाल करती हूं, जिससे लोग मुझ तक पहुंच सके. बहुत सारी महिलाएं मुझे मैसेज करके सलाह मांगती हैं. मैं सोशल मीडिया के जरिए बहुत सारे छात्रों की काउंसिलिंग भी करती हूं."
उनका मानना है कि अधिकारियों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपनी लोकप्रियता के लिए नहीं, बल्कि सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करना चाहिए. वे अंत में कहती हैं, "आप सोशल मीडिया को कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें आपकी नीयत मायने रखती है. अगर आप अच्छा करना चाहते हैं तो ये अच्छी हो जाएगी और अगर बुरा करना चाहते हैं तो ये बुरी हो जाएगी.”