HC On Hymen Break and Penetrative Sexual Assault: 'प्रवेशन यौन उत्पीड़न के सभी मामलों में हाइमन का टूटना जरूरी नहीं है', पॉक्सो केस से जुड़े एक मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट की टिप्पणी

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाइमन ब्रेक और प्रवेशन यौन उत्पीड़न मामले में बड़ी टिप्पणी की है. HC ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि प्रवेशन यौन उत्पीड़न के सभी मामलों में हाइमन का टूटना जरूरी नहीं है.

Court | Photo Credits: Twitter

HC On Hymen Break and Penetrative Sexual Assault: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाइमन ब्रेक और प्रवेशन यौन उत्पीड़न मामले में बड़ी टिप्पणी की है. HC ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि प्रवेशन यौन उत्पीड़न के सभी मामलों में हाइमन का टूटना जरूरी नहीं है. यह हमेशा पीड़िता की गवाही पर अविश्वास करने का आधार नहीं होता है.

न्यायमूर्ति कौशिक गोस्वामी ने बताया कि प्रवेशन यौन उत्पीड़न का अपराध उसी दौरान मान लिया जाता है, जब इसमें किसी भी स्तर का सम्मिलन होता है. इस केस में यह जरूरी नहीं कि पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान हों.

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प्रवेशन यौन उत्पीड़न के सभी मामलों में हाइमन का टूटना जरूरी नहीं है: HC

बता दें, कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें एक व्यक्ति पर 13 वर्षीय किशोरी की योनि में अपनी उंगली डालने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने एक चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को बरी कर दिया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि पीड़िता के जननांग पर कोई चोट नहीं थी, जिससे यह संकेत मिलता हो कि उसके साथ प्रवेशन यौन उत्पीड़न किया गया था.

न्यायालय ने यह भी कहा कि एक 13 वर्षीय लड़की आमतौर पर यौन उत्पीड़न के अधीन होने के बारे में झूठ नहीं बोलती है. ऐसी घटनाओं के बारे में पीड़िता के बयान पर बिना किसी पुष्टि के भरोसा किया जा सकता है, अगर यह भरोसेमंद, विश्वसनीय और आत्मविश्वास जगाता है.

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