Hyderabad: डॉक्टरों ने मासूम की बचाई जान, 3 साल के बच्चे के यूरिनरी ब्लाडर से निकाली पथरी
बच्चे की उम्र और पारंपरिक सर्जरी की संभावित जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने लेजर लिथोट्रिप्सी के साथ एंडोस्कोपिक सर्जिकल विकल्प के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया. पथरी को इस तकनीकी के माध्यम से तोड़कर बारीक किया गया और फिर सक्शन मशीन के जरिए बाहर खींच लिया गया.
हैदराबाद: हैदराबाद (Hyderabad:) के एक अस्पताल (Hospital) में डॉक्टरों (Doctor) ने तीन साल के एक बच्चे के यूरिनरी ब्लाडर (Urinary Bladder) से पथरी (Stone) निकाली. रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे को पेशाब करने में काफी परेशानी हो रही थी और एक महीने से अधिक समय से लगातार उसे तेज बुखार भी आ रहा था. बच्चे का इलाज शुरुआत में एक बाल विशेषज्ञ द्वारा किया गया, जिससे उसे अस्थायी राहत मिली. लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर से उसे वही परेशानी होने लगी.
इसके बाद बच्चे को एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (एआईएनयू) की सिटी ब्रांच एचआईटीईसी में रेफर किया गया. जहां पर जांच के दौरान बच्चे के यूरिनरी ब्लाडर से दो पथरी होने का पता चला. डॉक्टरों के सामने चुनौती यह थी कि इन पथरियों को कम दर्द किए बिना कैसे रिमूव किया जाए. China COVID-19 Update: चीन में कोरोना से हालत बिगड़े, 80 फीसदी आबादी कोविड-19 की चपेट में, अस्पतालों में इलाज के लिए भारी भीड़
एआईएनयू के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट और फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. दीपक रघुरी ने कहा, "ये पथरी आमतौर पर वयस्कों में मूत्रमार्ग के माध्यम से निकाले जाते हैं, लेकिन बच्चों के मामलों में ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि मूत्रमार्ग का कैलिबर संकीर्ण होता है और अगर हम प्रयास करते हैं, इससे मूत्रमार्ग को आगे तक के लिए नुकसान हो सकता है. एक अन्य विकल्प यह था कि नाभि के ठीक नीचे मूत्राशय में एक छेद किया जाए और फिर पथरी को रिमूव किया जाए."
बच्चे की उम्र और पारंपरिक सर्जरी की संभावित जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने लेजर लिथोट्रिप्सी के साथ एंडोस्कोपिक सर्जिकल विकल्प के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया. पथरी को इस तकनीकी के माध्यम से तोड़कर बारीक किया गया और फिर सक्शन मशीन के जरिए बाहर खींच लिया गया. सर्जरी बिना किसी जटिलता के 45 मिनट से भी कम समय में पूरी हो गई और अगले ही दिन बच्चे को घर भेज दिया गया.