Hijab Controversy: सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाली याचिका दायर

कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई जिसमें छात्रों को मामले का फैसला होने तक धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया गया था.

कर्नाटक उच्च न्यायालय (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 11 फरवरी : कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई जिसमें छात्रों को मामले का फैसला होने तक धार्मिक पोशाक पहनने पर जोर नहीं देने का निर्देश दिया गया था. अधिवक्ता रहमतुल्लाह कोथवाल और आदिल अहमद के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि हिजाब पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (ए), निजता के अधिकार और अनुच्छेद 25 के तहत अंतरात्मा की स्वतंत्रता के तहत अभिव्यक्ति के अधिकार के अंतर्गत आता है. इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. कॉलेज प्रशासन ने छात्रों के एक समूह द्वारा हिजाब पहनने की जिद का विरोध किया है.

मोहम्मद आरिफ जमील और डी.जे. हल्ली फेडरेशन ऑफ मसाजिद मदारिस एंड वक्फ इंस्टीट्यूशंस ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश के माध्यम से मुस्लिम छात्र-महिलाओं को हिजाब पहनने और उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं देकर उनके मौलिक अधिकार को कम करने की मांग की है. इसलिए, यह आवश्यक है कि इस याचिका के निपटारे तक आक्षेपित आदेश के संचालन को रोकने के लिए एक उचित आदेश दिया जाए अन्यथा विशेष अनुमति याचिका दायर करने का उद्देश्य विफल हो सकता है और इसे निष्फल किया जा सकता है. उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसमें मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनकर शिक्षण संस्थानों में प्रवेश से वंचित किया गया है. याचिका में कहा गया है कि आक्षेपित आदेश गैर-मुस्लिम महिला छात्रों और मुस्लिम महिला छात्रों के बीच एक अनुचित वर्गीकरण बनाता है और इस तरह धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा का सीधा उल्लंघन है जो भारतीय संविधान की मूल संरचना का निर्माण करता है.

याचिका में कहा गया है कि संबंधित छात्रों को 15 फरवरी को होने वाली व्यावहारिक परीक्षाओं में शामिल होना है और संस्थानों तक उनकी पहुंच में किसी भी तरह का हस्तक्षेप उनके शिक्षा के अधिकार में बाधा बनेगा. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मौखिक टिप्पणियां पारित कीं और सुनवाई निर्धारित की. उच्च न्यायालय ने कहा कि हम एक आदेश पारित करेंगे. स्कूल-कॉलेज शुरू होने दें. लेकिन जब तक मामला हल नहीं हो जाता, तब तक कोई भी छात्र धार्मिक पोशाक नहीं पहनेगा. यह भी पढ़ें : Airtel Down: देशभर में डाउन हुईं एयरटेल 4जी, ब्रॉडबैंड और वाईफाई सेवाएं, लोगों ने गुस्सा जाहिर करने के लिए लिया सोशल मीडिया का सहारा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय से याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका की तत्काल सूची के लिए एक विशिष्ट तारीख देने से परहेज किया, जो वर्तमान में स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब की अनुमति की जांच कर रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया. सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि यह कर्नाटक में जो हो रहा है और पूरे देश में फैल रहा है. मुख्य न्यायाधीश ने सिब्बल से कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय पहले से ही इस मुद्दे की जांच कर रहा है और इसे इस पर फैसला करने की अनुमति दी जानी चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें इस स्तर पर क्यों जाना चाहिए? यह सब ठीक नहीं है.

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