कागजों में हो रही है डेंगू से स्वास्थ विभाग और प्रशासन की लड़ाई, धरातल पर तस्वीर अलग
दिवाली के आसपास शुरू हो जाता है त्योहारों का सीजन और उसके साथ शुरू होती हैं मच्छरों के काटने की बीमारियां भी. पिछले कई सालों से लगातार डेंगू अपना भयानक रूप दिखा रहा है और दिल्ली एनसीआर के नोएडा और गाजियाबाद में कई परिवारों ने अभी तक कई अपनों को इस डेंगू के बीमारी के चलते खो दिया है.
नोएडा, 16 अक्टूबर : दिवाली के आसपास शुरू हो जाता है त्योहारों का सीजन और उसके साथ शुरू होती हैं मच्छरों के काटने की बीमारियां भी. पिछले कई सालों से लगातार डेंगू अपना भयानक रूप दिखा रहा है और दिल्ली एनसीआर के नोएडा और गाजियाबाद में कई परिवारों ने अभी तक कई अपनों को इस डेंगू के बीमारी के चलते खो दिया है. हर साल डेंगू का कहर झेलने के बाद भी प्रशासन और दोनों ही जिलों का स्वास्थ्य विभाग कोई भी सुध लेता नहीं दिखाई देता है. कागजों में तो दोनों ही जिलों में डेंगू के खिलाफ जमकर लड़ाई दिखाई जाती है -- एंटी लार्वा छिड़काव, फॉगिंग, पार्कों, रास्तों नालों की साफ-सफाई, यह सब कागजों में जमकर होता है. लेकिन धरातल पर लोगों के मुताबिक महीने में अगर एक बार भी फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव उनके इलाके में हो जाए तो वह अपने आप को धन्य मानते हैं. गाजियाबाद में डेंगू के 300 और नोएडा में डेंगू के 50 मामले अब तक सामने आ चुके हैं. गाजियाबाद में कुछ दिनों पहले किए गए सर्वे में 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डेंगू का लार्वा मिलने पर मलेरिया विभाग ने पीएचसी प्रभारियों को नोटिस जारी कर दिया है. साफ सफाई ना होने पर प्रभारियों पर लापरवाही बरतने पर जुर्माना भी लगाया गया है. इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी महकमा डेंगू को लेकर कितना सजग है और आम जनता के स्वास्थ्य से कितना ज्यादा खिलवाड़ हो रहा है.
*क्या कहते हैं आरडब्ल्यूए के लोग*
नोएडा सेक्टर 51 आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी संजीव कुमार ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए बताया कि उनके सेक्टर के निवासी और आरडब्ल्यूए के लोग डेंगू को लेकर काफी सजग हैं. इसीलिए वह हर हफ्ते में लगातार जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग को फोन करके, मैसेज के जरिए यह बात करते हैं कि यहां पर लगातार फॉगिंग कराई जाए, एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जाए और साफ-सफाई और पार्कों का रखरखाव भी ठीक किया जाए. इसीलिए अथॉरिटी, स्वास्थ्य विभाग के लोग यहां अक्सर फॉगिंग करते हुए साफ सफाई करते हुए दिखाई दे जाते हैं. यह भी पढ़ें : देश की खबरें | उप्र : पिता की हत्या के मामले में बेटे को आजीवन कारावास की सजा
नोएडा के जिला अस्पताल के बगल में बसा हुआ निठारी गांव है. इस गांव में रहने वाले अर्जुन सिंह ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए बताया कि उनके गांव में बीते कई हफ्तों से ना तो फागिंग की गई है. ना ही एंटी लारवा का छिड़काव किया गया है. उनका गांव नोएडा के सबसे पॉश सेक्टरों के बिल्कुल बीचो-बीच पड़ता है. लेकिन बावजूद उसके यहां पर स्वास्थ्य विभाग जिला प्रशासन या अथॉरिटी के लोग किसी भी तरीके से कोई भी काम करते दिखाई नहीं देते, जिससे यहां पर डेंगू फैलने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है. यह गांव चारों तरफ से सोसायटी से घिरा हुआ है.
*क्या कहते हैं अधिकारी*
गौतमबुद्ध नगर के जिला मलेरिया अधिकारी राजेश शर्मा ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि हमारा विभाग पहले से ही सतर्क हो चुका है. हम चिन्हित सभी जगहों पर एंटी लार्वा का छिड़काव करवा रहे हैं. साथ-साथ फागिंग करवा रहे हैं. जहां जहां पहले केस निकले थे वहां पर एंटाबोलिजिकल सर्वे करवा लिया गया है. अथॉरिटी की करीब 50 टीमों के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी इन सभी जगहों पर एंटी लारवा का छिड़काव करवा रही हैं. साथ-साथ पार्कों की साफ-सफाई, नालों की साफ-सफाई को भी करवाया जा रहा है ताकि डेंगू के मच्छर पनप ना पाए. जिला मलेरिया अधिकारी ने अपील करते हुए कहा है कि सभी आरडब्लूए के लोग अपने इलाकों में कहीं भी पानी जमा न होने दें, कहीं भी पानी भर कर रखा गया है तो उसे 1 हफ्ते के अंदर साफ कर दें, खाली कर दें और फिर दोबारा से भरें या तो उसमें थोड़ा सा मिट्टी का तेल जरूर डाल दें ताकि डेंगू के मच्छर पनप ना सके. उन्होंने बताया कि पिछले साल 657 केस गौतमबुद्ध नगर में थे. इस साल अभी तक अकड़ा 50 के पास पहुंचा है.
*क्यूं नही मिलता है सही अकड़ा*
गौतमबुद्ध नगर या गाजियाबाद दोनों जगह में स्वास्थ्य विभाग के पास खुद ही सही आंकड़ा मौजूद नहीं होता है. क्योंकि ज्यादातर लोग अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में करवाते हैं और प्राइवेट अस्पताल से डेंगू के मरीजों का डाटा जब तक स्वास्थ्य विभाग पहुंचता है, तब तक मरीज ठीक होकर अपने घर भी पहुंच चुका होता है. इसीलिए मरीज किस इलाके से आया था वहां पर डेंगू के कितने मरीज हैं या किस तरीके की समस्या है. इस बात की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को होती ही नहीं. या यूं कहें कि यह लापरवाही प्राइवेट अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग की होती है कि उनके आपसी तालमेल ना होने की वजह से आम जनता परेशान होती है.