मध्य प्रदेश के धार जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. गुरुवार को अस्पताल ले जाते समय एम्बुलेंस में ही चार साल की बच्ची की मौत हो गई. दर्दनाक यह है कि एम्बुलेंस चालक ने बच्ची के पिता से कहा कि "एम्बुलेंस मृतकों के लिए नहीं है," और उन्हें बच्ची के शव के साथ सड़क किनारे ही छोड़कर चला गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची के पिता धर्मेंद्र राठौर ने बताया कि उनकी बेटी जियानशी राठौर का हाथ बुधवार को टूट गया था, जिसके बाद उन्हें बदनावर के जेटीपी सरदार पटेल अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टर ने अस्थायी प्लास्टर लगाया और गुरुवार को सर्जरी के लिए बुलाया. सर्जरी के तुरंत बाद, जियानशी को दौरे पड़ने लगे.
डॉक्टरों ने उन्हें लगभग 46 किमी दूर रतलाम जिला अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में ही जियानशी की मौत हो गई. धर्मेंद्र ने आरोप लगाया कि "एम्बुलेंस चालक ने हमें सड़क किनारे छोड़ दिया और कहा कि यह गाड़ी बीमार लोगों को ले जाने के लिए है, लाशों के लिए नहीं."
धर्मेंद्र ने दूसरी एम्बुलेंस या कोई और वाहन खोजने की कोशिश की, लेकिन कोई नहीं मिला. आखिरकार, उन्होंने अपने एक रिश्तेदार को मदद के लिए बुलाया जो मोटरसाइकिल पर पहुंचा और जियानशी के शव को घर ले गया. जियानशी का शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया गया.
इस घटना की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, जिससे लोगों में आक्रोश है.
जेटीपी सरदार पटेल अस्पताल के प्रवक्ता यश कपाडिया ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन वह जांच करेंगे. बदनावर के एसडीएम दीपक सिंह चौहान ने भी मामले की जानकारी होने से इनकार किया, जबकि बदनावर ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ बीवीआर मुजाल्दा ने इसे गंभीर मामला बताया है. यह घटना एम्बुलेंस सेवाओं में मानवीयता की कमी और लापरवाही को उजागर करती है.