जीबी पंत अस्पताल के शोध को अमेरिका के वैज्ञानिकों ने दी अहमियत, रुमेटिक हार्ट डिजीज के कारणों का लगाया पता
राजधानी के जाने माने जीबी पंत अस्पताल के हृदय रोग विभाग में एक शोध के दौरान यह पाया गया कि जिन व्यक्तियों में रुमेटिक हार्ट डिजीज के कारण माइट्रल वॉल्व सिकुड़ जाते हैं और दिल की धड़कन की गति अनियमित हो जाती है.
राजधानी के जाने माने जीबी पंत अस्पताल के हृदय रोग विभाग में एक शोध के दौरान यह पाया गया कि जिन व्यक्तियों में रुमेटिक हार्ट डिजीज के कारण माइट्रल वॉल्व सिकुड़ जाते हैं और दिल की धड़कन की गति अनियमित हो जाती है. उनके हार्ट यानि दिल में खून का थक्का बनने की समस्या पैदा हो जाती है और वे हृदय रोग (हार्ट डिजीज) से जूझने लगते हैं. जीबी पंत अस्पताल के हृदय रोग के चिकित्सकों ने पाया कि रुमेटिक हार्ट डिजीज यानि (हृदय रोग) रुमेटिक फीवर (बुखार) से जुड़ी हुई है. यह एक ऐसी अवस्था है, जिसमें हृदय के वॉल्व इस बीमारी की प्रक्रिया से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. यह प्रक्रिया बचपन में स्टेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण गले के संक्रमण से शुरू होती है. यदि इस बीमारी का समय पर उपचार न किया जाए, तो यह बीमारी रुमेटिक फीवर में बदल जाती है, जिसमें हृदय का वॉल्व संक्रमण से खराब हो जाता है. इसके कारण उनके दिल में थक्का बन जाता है और उन्हें दिल की बीमारी यानि हृदय रोग की समस्या उत्पन्न हो जाती है. साथ ही लकवा भी हो सकता है.
100 मरीजों पर किया गया शोध:
जीबी पंत अस्पताल ने लगभग 100 मरीजों में किए गए अध्ययन में अनियमित धड़कन के मरीजों को तीन समूह में विभाजित किया. एक समूह में दिल की औसत धड़कन 100 प्रति मिनट से अधिक थी तथा दूसरे समूह में दिल की औसत धड़कन 100 प्रति मिनट से कम थी. तीसरा समूह स्वस्थ व्यक्तियों का था. इन तीनों समूह में हृदय में थक्का बनने के विभिन्न मॉर्कर को नापा गया। इस शोध में पाया गया कि औसत से अधिक धड़कन के कारण हृदय में थक्का बनने की ज्यादा संभावना थी, जबकि औसत से धड़कन कम होने वाले मरीजों में हृदय में थक्का बनने की संभावना स्वस्थ व्यक्तियों वाले समूह के बराबर ही थी। इस शोध का यह निष्कर्ष रहा की रुमेटिक हार्ट डिजीज के माइट्रल वॉल्व की सिकुड़न एवं हृदय की अनियमित गति से ग्रसित मरीजों में हृदय में थक्का बनने की संभावना औसत हृदय गति कम से कम रखने पर कम हो जाती है.
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तीन वर्ष तक किया गया शोध:
वर्ष 2011 से 2014 यानि तीन वर्ष तक जीबी पंत अस्पताल के चिकित्सकों के शोध में यह निष्कर्ष पाया गया. इसे अस्पताल के चिकित्सक बड़ी कामयाबी मान रहे हैं. शोध करने वाले जीबी पंत के हृदय रोग विभाग के विशेषज्ञ डा. मयंक गोयल ने बताया कि वह इस शोध को लेकर बहुत ही उत्साहित हैं. यह केवल जीबी पंत अस्पताल के चिकित्सकों के लिए कामयाबी की बात नहीं है बल्कि भारत के चिकित्सकों-विशेषज्ञों के लिए भी गर्व की बात है. हृदय रोग विशेषज्ञ डा. मयंक ने बताया कि इस शोध के नतीजों को अमेरिका की शीर्षस्थ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन एवं अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी ने अपने नवीनतम दिशा-निर्देशों में सम्मिलित किया है. इसे उन्होंने वर्ष 2020 में अपने यहां सम्मिलित किया और इस साल के अंक में इसे जगह दी है.