Oil Ministry: कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते अप्रैल में ईंधन की बिक्री 9.4 प्रतिशत घटी
फ्यूल (Photo Credit- Pixabay)

तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (Petroleum Planning and Analysis Cell) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में ईंधन की खपत 9.38 प्रतिशत घटकर 1.71 करोड़ टन रह गई, जबकि मार्च में यह 1.87 करोड़ टन थी. देश में अप्रैल 2020 में कोराना संक्रमण के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (Nationwide lockdown) लगाया गया था, जिसके चलते सभी आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थी. इस दौरान ईंधन की खपत 2006 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी. अप्रैल 2020 की तुलना में इस बार हालांकि ईंधन की खपत 81.5 बढ़ी है. ओपीईसी के अनुसार अप्रैल में गाड़ियों और मोटरसाइकिल में पेट्रोल की खपत 23.8 लाख टन घट गई, जो अगस्त 2020 के बाद सबसे कम है. इस वर्ष अप्रैल में ईंधन बिक्री मार्च 2021 के मुकाबले 13 प्रतिशत और अप्रैल 2019 के मुकाबले तीन प्रतिशत कम रही. अप्रैल 2020 में ईंधन की बिक्री केवल 9.72 लाख टन थी.

देश में डीजल की मांग भी अप्रैल में 66.7 लाख टन घट गई, जो मार्च के मुकाबले 7.5 प्रतिशत और अप्रैल 2019 की तुलना में नौ फीसदी कम है. वही पिछले वर्ष अप्रैल में डीजल की बिक्री केवल 32.5 लाख टन थी. विमान सेवाओं के कम क्षमता के साथ संचालन से जेट ईंधन की बिक्री अप्रैल में 4,09,000 टन रही, जो मार्च के मुकाबले 14 प्रतिशत और अप्रैल 2019 की तुलना में 36.7 प्रतिशत कम है. वही अप्रैल 2020 में जेट ईंधन की खपत केवल 5,500 टन थी. इसके अलावा अप्रैल 2021 में रसोई गैस की बिक्री की मार्च के मुकाबले 6.4 प्रतिशत घटकर 21 लाख टन रह गई. हालांकि अप्रैल 2019 में 19 लाख टन बिक्री की तुलना में इसमें 11.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. यह भी पढ़ें : Maharashtra: पिंपरी में राकांपा विधायक के कार्यालय में गोली चली, कोई हताहत नहीं

अप्रैल में ईंधन की बिक्री में हालांकि इससे भी ज्यादा गिरावट आ सकती थी, लेकिन कई राज्यों में चुनाव अभियान के लिए वाहनों के इस्तेमाल के चलते ईंधन बिक्री को थोड़ा बल मिला. वही प्रतिबंधों के बढ़ने से मई में ईंधन मांग में तेज गिरावट देखी जा सकती है. ओपीईसी ने मासिक तेल रिपोर्ट में कहा, ‘‘कोरोना संक्रमण के मामलों में भीषण तेजी के कारण वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में तेल की मांग प्रभावित होने का अनुमान है. ताजा आंकड़ों के अनुसार अप्रैल के अंत में ईंधन की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई और मई मंत तक ऐसी ही स्थिति रहने का अनुमान है. पहली तिमाही में ईंधन की खपत जून में हालात पर निर्भर करेगी.’