एक-दूसरे से अलग हो चुके पति-पत्नी को एक-दूसरे के प्रति गहरी नफरत के बावजूद एक साथ रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता है. यह फैसला हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जोड़े को तलाक देते हुए दिया था. जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि पति-पत्नी को जबरदस्ती एक साथ रहने के लिए मजबूर करना शादी टूटने की तुलना में सार्वजनिक हित के लिए अधिक हानिकारक है. इसके साथ ही अदालत ने कपल को तलाक लेने की अनुमति दी. पत्नी का पति के लिए खाना ना बनाना क्रूरता नहीं, केरल हाई कोर्ट ने कहा- ऐसे नहीं दे सकते तलाक.
कोर्ट ने पति को तीन महीने के भीतर पत्नी को 1 करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने का भी निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए हैं और संपत्तियों को लेकर उनके बीच गंभीर विवाद हैं. इसके अलावा, दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ शादी से बाहर संबंध रखने का भी आरोप लगा रहे हैं, जिससे वे एक-दूसरे के प्रति गहरी नफरत के बावजूद एक साथ रहने के लिए मजबूर हो रहे हैं. ये क्रूरता है.
Forcing husband-wife to live together despite intense hate for each other is cruelty: Allahabad High Court
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— Bar & Bench (@barandbench) October 19, 2023
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं, सबूतों को देखा और कहा कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ शादी की पवित्रता बनाए न रखने और शादी के बाहर रिश्ते में शामिल होने का आरोप लगाया है और वे दस साल से अधिक समय से अलग रह रहे हैं और आपराधिक शिकायतों सहित कई शिकायतें दर्ज की गई हैं. इसलिए दोनों को एक साथ रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता होगी. इसके साथ ही अदालत ने तलाक की मंजूरी दी.