Fish Medicine in Hyderabad 2024 Date and Time: 8 जून को हैदराबाद में दिया जाएगा मछली प्रसादम, लोगों का मानना- इससे अस्थमा होता है ठीक

बथिनी परिवार 8 जून को सुबह 11 बजे से 9 जून की सुबह 10 बजे तक हैदराबाद में मरीजों को मछली प्रसाद वितरित करेगा, जिसके बारे में लोगों का मानना है कि यह अस्थमा और सांस की बीमारियों को ठीक करता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (File Image)

Fish Medicine in Hyderabad 2024 Date and Time: बथिनी परिवार (Bathini Family) 8 जून को सुबह 11 बजे से 9 जून की सुबह 10 बजे तक हैदराबाद (Hyderabad) में मरीजों को मछली प्रसाद (Fish Prasadam) वितरित करेगा, जिसके बारे में लोगों का मानना ​​है कि यह अस्थमा (Asthma) और सांस की बीमारियों (Respiratory Illness) को ठीक करता है. बथिनी अमरनाथ गौड़ (Amarnath Goud), जिनका परिवार मछली प्रसाद वितरित करता है, उन्होंने कहा कि इसका वितरण मृगसिरा कार्ति (Mrigasira Karti) के दिन किया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार मानसुन की शुरुआत का प्रतीक है.

'मछली प्रसादम' में मुरेल मछली और हर्बल पेस्ट शामिल है. हालांकि वैज्ञानिकों और तर्कवादियों ने 'मछली प्रसादम' के औषधीय गुणों पर सवाल उठाया है, लेकिन हर साल लोग मछली प्रसादम को लेने के लिए शहर में आते हैं.

अमरनाथ गौड़ (Amarnath Goud) ने कहा कि इस संबंध में हमने नई तेलंगाना सरकार से संपर्क किया है और सभी आवश्यक सुविधाएं और फिंगरलिंग की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है. जीएचएमसी, जल कार्य, अग्निशमन, बिजली पुलिस और आरटीसी व अन्य विभाग अपनी व्यवस्था करेंगे. हमेशा की तरह मत्स्य पालन विभाग आवश्यक मछली उपलब्ध कराएंगे. तेलंगाना सरकार और सम्मानित विभागों के अलावा, बद्री विशाल पन्नालाल पिट्टी ट्रस्ट, अग्रवाल सेवा दल हर साल मछली प्रसादम के सुचारू प्रशासन में हमारी रीढ़ है. वे हर साल मुफ्त भोजन, टिफिन, पानी और सभी रोगियों को छाछ प्रदान करते हैं. यह भी पढ़ें: World Asthma Day 2024: कब है विश्व अस्थमा दिवस? जानें इसका इतिहास एवं अस्थमा के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए आवश्यक जानकारियां!

गौड़ ने आगे कहा कि उस दिन हम जीवित फिंगरलिंग के मुंह में एक पीला हर्बल पेस्ट (प्रसादम) डालते हैं, फिर इस जीवित मछली को रोगी के गले में डाल दिया जाता है. शाकाहारी रोगियों के लिए परिवार गुड़ के साथ अलग प्रसादम तैयार करेगा. हालांकि, शाकाहारियों को लंबे समय तक प्रसाद लेने की जरूरत है.

प्रसादम लेने के बाद अलग से दिए जाने वाले प्रसाद की गोलियां बनानी होती हैं और इसे 45 दिनों तक तीन बार अरुद्र (23 जून), पुनर्वसु (8 जुलाई) और पुष्यमी (23 जुलाई) में लेना चाहिए. मरीजों को बथिनी भाइयों द्वारा निर्धारित सख्त आहार का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा मछली प्रसादम वांछित परिणाम नहीं देगा. उन्होंने कहा कि मुख्य आयोजन स्थल प्रदर्शनी मैदान में प्रसादम पूरा होने के बाद शेष मरीजों को हम अपने आवास पर मछली का प्रसाद देते हैं.

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