उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के चाइल्ड वार्ड में शुक्रवार देर रात एक दर्दनाक हादसा हुआ. आग में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए. शुरुआती जांच के मुताबिक आग शॉर्ट सर्किट से लगी थी, लेकिन एक चश्मदीद गवाह के अनुसार इस भयानक घटना की असल वजह कुछ और थी.
माचिस से लगी आग की सच्चाई
हमीरपुर निवासी भगवान दास ने बताया कि उन्होंने खुद अपनी आंखों से देखा कि किस प्रकार एक नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को जोड़ने के लिए माचिस की तीली जलाई और जैसे ही तीली जली, पूरे वार्ड में आग फैल गई. इस घटना के दौरान भगवान दास ने अपनी सूझबूझ से तीन-चार बच्चों को अपने गले में लपेटकर बाहर निकाला और अन्य बच्चों को भी सुरक्षित करने की कोशिश की.
एग्जायर सिलेंडर ने और बढ़ाई मुश्किलें
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि वार्ड में रखा फायर एक्सटिंग्विशर पूरी तरह से एक्सपायर हो चुका था. इसके सिलेंडर पर 2019 की फिलिंग डेट थी और इसकी एक्सपायरी 2020 में हो चुकी थी. इसका मतलब यह था कि यह सिलेंडर किसी काम का नहीं था, और अस्पताल में रखे गए अन्य सुरक्षा उपकरण भी लापरवाही से काम में नहीं लाए गए.
उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता और पीएम मोदी की ओर से राहत
इस दुखद घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की है, वहीं घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने भी हर मृतक के परिवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने की घोषणा की है.
घटनास्थल की भयावह तस्वीरें
एनआईसीयू वार्ड की तस्वीरों ने इस हादसे की भयावहता को साफ तौर पर दर्शाया. जहां नवजात शिशु भर्ती थे, वहां की मशीनें और अन्य उपकरण जलकर खाक हो गए थे. पूरा वार्ड तहस-नहस हो चुका था, और लाइटें भी काट दी गई थीं.
अधिकारियों ने शुरू की विस्तृत जांच
घटना की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त किया और राहत कार्यों को तेज करने का निर्देश दिया. साथ ही, झांसी रेंज के डीआईजी और झांसी मंडलायुक्त को विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.