लखनऊ, 12 जनवरी : यूपी के वरिष्ठ मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि भाजपा के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पांच वर्षों में मंत्री के रूप में कभी भी पिछड़ी जातियों, दलितों या युवाओं के हितों की अनदेखी करने वाली राज्य सरकार के बारे में कोई चिंता नहीं जताई. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने काम नहीं किया और आखिरी मिनट में चीजें होने की उम्मीद की, वे भी समझ गए कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं. उसी के कारण पार्टी छोड़कर चले गए. उन्हें पता था कि उन्हें टिकट नहीं मिलेगा.
मौर्य ने अपने त्याग पत्र में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर जमकर निशाना साधा है. मौर्य ने भाजपा छोड़ने के साथ ही पार्टी पर पिछड़े समुदाय के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया. भाजपा सूत्रों ने बताया कि मौर्य अपने बेटे उत्कर्ष मौर्य के लिए टिकट के लिए मशक्कत कर रहे थे. उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य पहले से ही बदायूं से सांसद हैं. यह भी पढ़ें : UP Election 2022: संजय राउत का ऐलान, यूपी विधानसभा चुनाव में शिवसेना 50-100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
सिंह ने कहा कि मुझे आश्चर्य है, हम कैबिनेट और कई अन्य मंत्रियों के समूह में एक साथ बैठे है. जब हम साथ थे, उन्होंने हमेशा प्रशंसा करते हुए कहा कि योगी सरकार ने मोदी सरकार के साथ मिलकर दलितों के लिए, ओबीसी, किसानों के लिए अधिकतम किया है. पांच बार विधायक रहे मौर्य का पूर्वी उत्तर प्रदेश में 35 फीसदी गैर-यादव ओबीसी के बीच दबदबा है. उनके भाजपा से बाहर होने से तीन अन्य विधायकों - रोशन लाल वर्मा, बृजेंद्र प्रजापति और भगवती शरण सागर ने भी इस्तीफा दे दिया है. तीनों ने योगी सरकार पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाया है.