नई दिल्ली: केंद्र सरकार के प्रस्ताव भेजने के बावजूद भी आज किसान आंदोलन (Farmers Protest) खत्म नहीं हो पाया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसान संगठनों की अधिकतर मांगों पर केंद्र मुहर लगाने के लिए तैयार हो गई है. हालांकि कुछ मुद्दे ऐसे भी है, जिनको मानने के लिए सरकार ने शर्ते रखी है. जिस पर किसान सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहे है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा “जो केस वापस लेने की बात है, उसपर सरकार की तरफ से कहा गया है कि आंदोलन वापस लेने के बाद केस वापस लेने की शुरुआत होगी. हरियाणा में 48,000 लोगों पर मामले दर्ज़ हैं और भी देशभर में मामले दर्ज़ हैं. सरकार को तुरंत मामले वापस लेने की शुरुआत करनी चाहिए.”
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा “आंदोलन में 700 से अधिक किसानों ने जान गंवाई है, जिनके लिए पंजाब सरकार ने 5 लाख रुपये मुआवजा और परिवार में एक को सरकारी नौकरी की बात की है. यही मॉडल केंद्र सरकार को भी लागू करना चाहिए. किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा दे सरकार: राहुल
वहीं, किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने मंगलवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन आंदोलन के भविष्य को लेकर आम सहमति पर पहुंच गए हैं क्योंकि उनकी लगभग सभी मांगों को मान लिया गया है, लेकिन निर्णय की औपचारिक घोषणा बुधवार को की जाएगी.
प्रदर्शन में शामिल 40 से ज्यादा किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक के बाद संधू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे द्वारा उठाई गई लगभग सभी मांगों को मान लिया गया है. सरकार से किसानों की मांगों पर आश्वासन के साथ पत्र मिल गया है. आम सहमति बन गई है, कल अंतिम निर्णय की घोषणा की जाएगी.’’
एक अन्य किसान नेता और एसकेएम के सदस्य ने कहा कि बुधवार को आंदोलन समाप्त होने की संभावना है क्योंकि किसानों की मांगों पर सरकार की ओर से कुछ सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं. हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा की बुधवार दोपहर 2 बजे एक बार फिर बैठक की जाएगी और अंतिम निर्णय की घोषणा की जाएगी. हालांकि किसान संगठनों को यह उम्मीद है कि कल तक सरकार उनके कुछ सवालों का जवाब दे देगी.
आंदोलन की अगुवाई कर रहे एसकेएम ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजन को मुआवजा, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने की लंबित मांगों पर सरकार के साथ बातचीत करने के लिए शनिवार को पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था.