Keerthi Chakra Award विजेता का परिवार वीरता पुरस्कार लौटाने पहुंचा राजभवन
कीर्ति चक्र (Photo Credits: Wikipedia)

कांगड़ा जिले के निवासी एवं कीर्ति चक्र से सम्मानित शहीद अनिल चौहान (Anil Chauhan) का परिवार सोमवार को वीरता पदक लौटाने शिमला स्थित राजभवन पहुंचा. परिवार का आरोप है कि राज्य सरकार चौहान की शहादत का सम्मान करने में नाकाम रही है.उल्लेखनीय है कि कीर्ति चक्र शांतिकाल में वीरता के लिए दिया जाना वाला दूसरा सर्वोच्च सम्मान है जबकि अशोक चक्र शीर्ष वीरता पुरस्कार है.

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात से पहले मीडिया से बातचीत में शहीद जवान की मां राजकुमारी ने कहा कि उनके बेटे को असम में ‘ऑपरेशन राइनो’ के दौरान जब शहादत मिली तब वह मात्र 23 साल के थे. कांगड़ा जिले के जयसिंहपुर निवासी राजकुमारी ने कहा कि राज्य सरकार स्कूल का नामकरण चौहान के नाम पर करने और गांव में उनकी याद में तोरणद्वार बनाने सहित अपने वादे पूरा करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की निष्क्रिया और बेटे की शहादत के 18 साल बाद भी वादे नहीं पूरे होने से परेशान होकर वह, परिवार के अन्य सदस्यों के साथ राज्यपाल को वीरता पदक लौटाने आई हैं. इसबीच, जब मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को परिवार के राज्यपाल से मिलने की जानकारी मिली तो वह राजभवन परिसर के बाहर शहीद की मां से मिलने पहुंचे. यह भी पढ़े: India-China Face-Off in Ladakh: तमिलनाडु सरकार ने शहीद जवान पलानी के परिवार को 20 लाख रुपए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का किया ऐलान

ठाकुर ने शहीद की मां और परिवार के अन्य सदस्यों को भरोसा दिया कि वह उनकी मांगों को पूरा करने का प्रयास करेंगे. मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि तत्कालीन राज्य सरकार ने 18 साल पहले वादे किए थे, जो अबतक पूरे नहीं हुए हैं. उन्होंने परिवार से उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए तत्काल मुख्यमंत्री कार्यालय आने को कहा. परिवार ने कहा कि राज्यपाल से मुलाकात कर वह मुख्यमंत्री कार्यालय जाएंगे.

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