प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेट एयरवेज केस (Jet Airways ) संस्थापक नरेश गोयल (Naresh Goyal) के दिल्ली और मुंबई दफ्तर पर छापेमारी की. यह तलाशी विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत की गयी तथा इसका उद्देश्य अतिरिक्त सबूत जुटाना था. जेट एयरवेज नकदी संकट के बाद 17 अप्रैल से परिचालन से बाहर है. सूत्रों ने जुलाई में कहा था कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की जांच में कंपनी के कोष को इधर उधर करने समेत व्यापक स्तर पर अनियमितता का पता चला था. गोयल ने मार्च में कंपनी के चेयरमैन का पद छोड़ दिया था. कंपनी फिलहाल दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता की प्रक्रिया से गुजर रही है.
बता दें कि नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनिता गोयल को लंदन के लिए उड़ान भर रहे एक विमान से उतार लिया गया था. मुंबई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से एमिरेट्स ईके-507 की उड़ान में दोनों सवार हो चुके थे. वहीं नरेश गोयल को उनके खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर को खत्म करने की मांग पर अंतरिम राहत देने से मना कर दिया था. गोयल के खिलाफ 18,000 करोड़ रुपये की गंभीर धोखाधड़ी की जांच की जा रही है.
यह भी पढ़ें:- कंगाल पाकिस्तान को लगा 2019 का बड़ा झटका, FATF ने ब्लैक लिस्ट में डाला PAK का नाम
जानिए क्या है जेट का मामला?
बताना चाहते है कि देश की सबसे पुरानी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के पतन की शुरुआत तब हुई जब सहारा एयरलाइन को लगभग 2,250 करोड़ रुपये में खरीद लिया. इसके बाद किफायती विमान सेवा वाली गो एयर, स्पाइसजेट और इंडिगो जैसी एयरलाइंस के आने से कम होता गया. जिसके बाद जेट एयरवेज ने जब मार्केट में मुकाबला करने के लिए किराए कम करने शुरू किए तो उसे घाटा होने लगा. लेकिन जेट फ्यूल महंगा होना शुरू हुआ तो किराए बढ़ने लगे और लोगों ने महंगे के बजाय बजट एयरलाइंस को ही पसंद किया. यही कारण है कि जेट की हालत इतनी बेकार हो गयी.