प्रवर्तन निदेशालय ने अप्रामाणिक संपत्ति के मामले में आरोपपत्र किया दाखिल, मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में 13 लोगों को किया गया नामित
प्रवर्तन निदेशालय ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा अप्रमाणिक तौर पर जमा की गई संपत्ति के संबंध में अपने आरोपपत्र में नौ लोगों और चार कंपनियों को नामित किया है. पीएमएलए के तहत जांच से पता चला है कि महेश चंद शर्मा ने भ्रष्टचार के माध्यम से अपने पद का दुरुपयोग करके अवैध रूप से बड़ी रकम जमा की थी.
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा अप्रमाणिक तौर पर जमा की गई संपत्ति के संबंध में अपने आरोपपत्र (चार्जशीट) में नौ लोगों और चार कंपनियों को नामित किया है. राजस्थान स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के कर्मचारी महेश चंद शर्मा और उनकी पत्नी मीना देवी, पुत्र मोहित शर्मा और अंकित शर्मा के साथ ही अन्य व्यक्तियों राधे श्याम शर्मा, सुमेर चंद शर्मा, किशन लाल सैनी, राजेंद्र प्रसाद सैनी और डॉ. लालचंद मोरानी का नाम जयपुर में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के विशेष अभियोजन के समक्ष शिकायत में दर्ज किया गया है.
इसके साथ ही एजेंसी ने स्वास्तिक सेवा संस्थान, सेफ इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड, साकेत हेल्थ एजुकेशन सेंटर प्राइवेट लिमिटेड और आरएजी मेमोरियल ट्रस्ट को भी आरोपपत्र में नामित किया है. ईडी ने अदालत से महेश चंद शर्मा और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर 12.60 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति के साथ धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के अपराध और कुर्क की गई चल एवं अचल संपत्तियों के लिए आरोपियों को सजा देने का भी अनुरोध किया है. ईडी ने महेश चंद शर्मा, उनके बेटों, पत्नी और अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी), जयपुर द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी और आरोपपत्र के आधार पर जांच शुरू की.
शर्मा ने नर्सिग ट्यूटर (नर्सिग ग्रेड-2), कॉलेज ऑफ नर्सिग, एसएमएस मेडिकल कॉलेज और मेंबर ऑफ इंडिया नर्सिग काउंसिल (आईएनसी) के सदस्य के रूप में भी काम किया है. वह अपने सहयोगी के साथ एसीबी के अधिकारियों द्वारा आईएनसी की वेबसाइट पर नाम जोड़ने के लिए एक नर्सिग संस्थान की ओर से एक व्यक्ति से पांच लाख रुपये की रिश्वत लेने के मामले में घिर गए थे. राज्य एसीबी द्वारा की गई जांच में पता चला है कि आरोपियों के पास 10.60 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से 372 प्रतिशत अधिक है.
पीएमएलए के तहत जांच से पता चला है कि महेश चंद शर्मा ने भ्रष्टचार के माध्यम से अपने पद का दुरुपयोग करके अवैध रूप से बड़ी रकम जमा की थी. उन्होंने उस धन का इस्तेमाल अपने अलावा अपनी पत्नी, बेटों और कंपनी के लिए कृषि भूमि, आवासीय फ्लैट और भूखंड (प्लॉट) खरीदने में किया. महेश चंद शर्मा और मोहित शर्मा को पिछले महीने ईडी ने गिरफ्तार किया था और वे वर्तमान में जयपुर की सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में हैं.