New Education Policy 2020: नई शिक्षा नीति में स्कूल के बच्चों को करनी होगी इंटर्नशिप
1986 में बनी शिक्षा नीति के आधार पर हमारे देश के सभी स्कूलों में अब तक किताबी ज्ञान पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। बच्चे के रिपोर्ट कार्ड पर एक तरफ विषयों के अंक लिखे जाते हैं और दूसरी तरफ 'बच्चा क्लास में बात बहुत करता है, बच्चा फोकस नहीं करता, आदि' जैसे कमेंट
New Education Policy 2020: 1986 में बनी शिक्षा नीति के आधार पर हमारे देश के सभी स्कूलों (School) में अब तक किताबी ज्ञान पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. बच्चे के रिपोर्ट कार्ड पर एक तरफ विषयों के अंक लिखे जाते हैं और दूसरी तरफ 'बच्चा क्लास में बात बहुत करता है, बच्चा फोकस नहीं करता, आदि' जैसे कमेंट. आने वाली जैनरेशन का रिपोर्ट कार्ड ऐसा नहीं होगा। उसमें टीचर को लिखना पड़ेगा कि बच्चे ने कौन से स्किल प्राप्त किए. और तो और बच्चे का रिपोर्ट कार्ड केवल मास्टर जी नहीं बनायेंगे, अब बच्चा अपना स्वयं का मूल्यांकन करेगा और साथ में उसके सहपाठी भी उसका मूल्यांकन करेंगे, तब जाकर मास्टर जी की बारी आयेगी नंबर देने की. और तो और स्कूल के बच्चों को अब 10 दिन की इंटर्नशिप भी करनी होगी.
जी हां ऐसे तमाम बड़े बदलाव शिक्षा व्यवस्था में किए गए हैं. नई शिक्षा नीति 2020 पर केंद्रीय मंत्रीमंडल ने आज अपनी मुहर लगा दी. स्कूल एजूकेशन सचिव अनीता करवाल ने प्रेसवार्ता में नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा व्यवस्था में किए गए बदलावों की जानकारी दी. यह भी पढ़े: New Education Policy 2020: नई शिक्षा नीति में इंजीनियरिंग के साथ म्यूजिक सबजेक्ट भी ले सकेंगे छात्र
नई शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:-
छोटे बच्चों यानी अरली चाइल्डहुड केयर एजूकेशन का यूनिवर्सलाइजेशन किया जाएगा. इसका करिकुलम एनसीईआरटी तैयार करेगा. 3 से 6 वर्ष की आयु तक के बच्चे चाहे आंगनबाड़ी स्कूल में पढ़ते हों या प्री-स्कूल में, उनके लिए प्ले बेस्ड एक्टिविटीज़ से युक्त पाठ्यक्रम होगा। इसके लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग होगी.
10 दिन की इंटर्नशिप
6 से 9 वर्ष के बच्चों (कक्षा 1 से 5) के लिए बेसिक लिट्रेसी, साक्षरता और संख्या ज्ञान पर फोकस करने के लिए नेशनल मिशन सेटअप किया जाएगा, जो केवल इस चीज पर फोकस करेगा और पूरे देश के बच्चों की ट्रेकिंग की जाएगी। इसका उद्देश्य होगा कि कक्षा तीन तक बच्चे फाउंडेशन लिट्रेसी को पूरा कर लें। यानी कक्षा पांच तक आते आते बच्चे को भाषा और गणित के साथ उसके स्तर का सामान्य ज्ञान होगा। कक्षा 3 से ही पाठ्यक्रमों को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि बच्चे में शुरु से ही साइंटिफिक टेम्पर यानी वैज्ञानिक सोच विकसित हो सके.
6 से 8 वर्ष के बच्चों (कक्षा 6 से 8) के लिए मल्टी डिसिप्लिनरी कोर्स होंगे और एक्टिविटीज़ के माध्यम से पढ़ाई करायी जाएगी। यही नहीं कक्षा 6 के बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी। यानी उसमें 21वीं सदी के स्किल का समावेश होगा। कक्षा 6 से 12वीं तक सारे विषय पढ़ाये जाएंगे। साथ ही वोकेशनल कोर्स भी शामिल किए जाएंगे। खास बात यह है कि इस दौरान बच्चे को 10 दिन की इंटर्नशिप करनी होगी.
इंटर्नशिप के तहत बच्चे को विषय के अनुरूप निकटतम वर्कशॉप में जाकर देखना होगा कि जिस वोकेशनल कोर्स को उसने लिया है, वह काम वास्तव में कैसे होता है.
कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के लिए भी मल्टी डिसिप्लिनरी कोर्स होंगे। यानी अगर बच्चे को संगीत में रुचि है, तो वह साइंस के साथ म्यूजिक ले सकता है। केमेस्ट्री के साथ बेकरी, कुकिंग का विषय लेना चाहे तो ले सकेगा। साथ ही बच्चों को प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग पर जोर दिया जाएगा। कुल मिलाकर जब बच्चा 12वीं पास करके निकलेगा, तो उसके पास कम से कम एक स्किल ऐसा होगा, जो आगे चलकर अजीविका के रूप में काम आ सकता है.
वहीं बालिका शिक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। कस्तूर्बा गांधी बालिका विकास विद्यालय हैं, वो अभी तक कक्षा 8 या 10 तक हैं। वो कक्षा 12 तक ले जाएंगे.
12वीं तक के पाठ्यक्रमों में होंगे परिवर्तन
पाठ्यक्रम की रूपरेखा, चार जगहों पर परिवर्तन किया जाएगा। पहला प्री स्कूल या आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए, विशेष करिकुलम होगा। फिर छोटे बच्चों के लिए ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा जिसमें अभिभावकों को भी बताया जाएगा कि वो घर पर क्या करें। फिर स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रमों को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि बच्चे में वैज्ञानिक सोच विकसित हो सके। और बड़े बच्चों के लिए वोकेशनल कोर्स तैयार किए जाएंगे.
बोर्ड में केवल किताबी ज्ञान नहीं परखा जाएगा
बोर्ड इम्तेहान के महत्व को कम करने के बहुत सारे तरीके सुझाये गए हैं। बोर्ड इम्तहान को दो भागों में बांटा जाएगा- ऑब्जेक्टिव और डिस्क्रिप्टिव। बोर्ड में नॉलेज के एप्लीकेशन को टैस्ट करें, रटे-रटाये प्रश्नों को जांचने के लिए नहीं.