खाद्य तेल के उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है. दिसंबर मध्य तक खाद्य तेल की कीमतों में 8 से 9 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिल सकती है, जो कि पिछले चार महीनों में पहली बार होगा. यह गिरावट पिछले दो हफ्तों में सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ के तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में $100 प्रति टन की कमी के कारण आई है.
सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ के तेल की कीमतों में गिरावट के कारण
सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट सोयाबीन उत्पादन में वैश्विक अधिशेष के कारण हुई है. वहीं, सूरजमुखी तेल की कीमतें स्थिर हो रही हैं, जबकि ताड़ के तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिसका एक कारण इंडोनेशिया का बायोडीजल नीति को लेकर निर्णय में देरी करना है.
इंडोनेशिया, जो विश्व में ताड़ के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है, ने बायोडीजल में ताड़ तेल के मिश्रण को 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, पर्यावरणीय समूहों के विरोध के कारण अब इंडोनेशिया सरकार इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर रही है. इससे ताड़ के तेल की मांग कम होने और कीमतों में गिरावट आई है.
मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन
संदीप बजोरिया, जो एक तेल व्यापार कंपनी, सनविन ग्रुप के CEO हैं, ने बताया कि सूरजमुखी तेल की कीमतें पिछले दो हफ्तों में $1,300 प्रति टन से घटकर $1,200 प्रति टन तक पहुंच गई हैं. इसी तरह, सोयाबीन तेल की कीमत $1,230 प्रति टन से घटकर $1,130 प्रति टन और ताड़ के तेल की कीमत $1,320 प्रति टन से घटकर $1,220 प्रति टन हो गई है.
भारत में हर साल 14.5 से 15 मिलियन टन खाद्य तेल का आयात किया जाता है, जिससे घरेलू मांग पूरी की जाती है. इन घटती कीमतों का असर भारतीय उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा, खासकर खुदरा बाजार में.
क्या अमेरिकी नीति में बदलाव से कीमतों पर असर होगा?
NK प्रोटीन के प्रबंध निदेशक प्रियंवदा पटेल ने बताया कि वैश्विक स्तर पर सोयाबीन की आपूर्ति प्रचुर मात्रा में है, और दक्षिण अमेरिका से रिकॉर्ड फसल की उम्मीद है, जो सोयाबीन तेल की कीमतों पर दबाव डाल सकता है. साथ ही, अमेरिका के नए प्रशासन से बायोडीजल नीति में बदलाव की संभावना है, जो बायोफ्यूल उत्पादन के लिए vegetable oils की मांग को कम कर सकती है. इससे खाद्य तेलों की कीमतों में और राहत मिल सकती है.
इसके अलावा, वैश्विक कच्चे तेल बाजार में अधिशेष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे बायोडीजल की प्रतिस्पर्धा कम हो गई है और ताड़ तेल की मांग में कमी आई है.
लेकिन सूरजमुखी तेल की कीमतों में गिरावट स्थायी नहीं हो सकती
हालांकि, प्रियंवदा पटेल ने चेतावनी दी कि सूरजमुखी तेल की कीमतों में हाल की गिरावट अस्थायी हो सकती है. रूस दिसंबर में सूरजमुखी तेल के निर्यात शुल्क में 183 प्रतिशत तक का इजाफा कर सकता है, जिससे वैश्विक सूरजमुखी तेल कीमतों पर असर पड़ेगा. अगर रूस ने ऐसा किया, तो भारत में सूरजमुखी तेल की कीमतों में ₹40-50 प्रति 10 किलोग्राम की वृद्धि हो सकती है, जो उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव डाल सकती है.
हालांकि खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आ रही है, लेकिन यह गिरावट पूरी तरह से स्थायी नहीं हो सकती है. विशेष रूप से सूरजमुखी तेल की कीमतों में भविष्य में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है. खाद्य तेल की कीमतों की स्थिरता और गिरावट की भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन इस समय राहत की उम्मीद जताई जा रही है.
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दिसंबर तक खाद्य तेल की कीमतों में 8 से 9 प्रतिशत तक गिरावट देखने को मिल सकती है. यह गिरावट सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ के तेल की कीमतों में पिछले दो हफ्तों में आई कमी के कारण है. वैश्विक आपूर्ति में बढ़ोतरी और बायोडीजल नीतियों में बदलाव इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं.
खाद्य तेल के उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है. दिसंबर मध्य तक खाद्य तेल की कीमतों में 8 से 9 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिल सकती है, जो कि पिछले चार महीनों में पहली बार होगा. यह गिरावट पिछले दो हफ्तों में सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ के तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में $100 प्रति टन की कमी के कारण आई है.
सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ के तेल की कीमतों में गिरावट के कारण
सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट सोयाबीन उत्पादन में वैश्विक अधिशेष के कारण हुई है. वहीं, सूरजमुखी तेल की कीमतें स्थिर हो रही हैं, जबकि ताड़ के तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिसका एक कारण इंडोनेशिया का बायोडीजल नीति को लेकर निर्णय में देरी करना है.
इंडोनेशिया, जो विश्व में ताड़ के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है, ने बायोडीजल में ताड़ तेल के मिश्रण को 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, पर्यावरणीय समूहों के विरोध के कारण अब इंडोनेशिया सरकार इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर रही है. इससे ताड़ के तेल की मांग कम होने और कीमतों में गिरावट आई है.
मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन
संदीप बजोरिया, जो एक तेल व्यापार कंपनी, सनविन ग्रुप के CEO हैं, ने बताया कि सूरजमुखी तेल की कीमतें पिछले दो हफ्तों में $1,300 प्रति टन से घटकर $1,200 प्रति टन तक पहुंच गई हैं. इसी तरह, सोयाबीन तेल की कीमत $1,230 प्रति टन से घटकर $1,130 प्रति टन और ताड़ के तेल की कीमत $1,320 प्रति टन से घटकर $1,220 प्रति टन हो गई है.
भारत में हर साल 14.5 से 15 मिलियन टन खाद्य तेल का आयात किया जाता है, जिससे घरेलू मांग पूरी की जाती है. इन घटती कीमतों का असर भारतीय उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा, खासकर खुदरा बाजार में.
क्या अमेरिकी नीति में बदलाव से कीमतों पर असर होगा?
NK प्रोटीन के प्रबंध निदेशक प्रियंवदा पटेल ने बताया कि वैश्विक स्तर पर सोयाबीन की आपूर्ति प्रचुर मात्रा में है, और दक्षिण अमेरिका से रिकॉर्ड फसल की उम्मीद है, जो सोयाबीन तेल की कीमतों पर दबाव डाल सकता है. साथ ही, अमेरिका के नए प्रशासन से बायोडीजल नीति में बदलाव की संभावना है, जो बायोफ्यूल उत्पादन के लिए vegetable oils की मांग को कम कर सकती है. इससे खाद्य तेलों की कीमतों में और राहत मिल सकती है.
इसके अलावा, वैश्विक कच्चे तेल बाजार में अधिशेष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे बायोडीजल की प्रतिस्पर्धा कम हो गई है और ताड़ तेल की मांग में कमी आई है.
लेकिन सूरजमुखी तेल की कीमतों में गिरावट स्थायी नहीं हो सकती
हालांकि, प्रियंवदा पटेल ने चेतावनी दी कि सूरजमुखी तेल की कीमतों में हाल की गिरावट अस्थायी हो सकती है. रूस दिसंबर में सूरजमुखी तेल के निर्यात शुल्क में 183 प्रतिशत तक का इजाफा कर सकता है, जिससे वैश्विक सूरजमुखी तेल कीमतों पर असर पड़ेगा. अगर रूस ने ऐसा किया, तो भारत में सूरजमुखी तेल की कीमतों में ₹40-50 प्रति 10 किलोग्राम की वृद्धि हो सकती है, जो उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव डाल सकती है.
हालांकि खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आ रही है, लेकिन यह गिरावट पूरी तरह से स्थायी नहीं हो सकती है. विशेष रूप से सूरजमुखी तेल की कीमतों में भविष्य में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है. खाद्य तेल की कीमतों की स्थिरता और गिरावट की भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन इस समय राहत की उम्मीद जताई जा रही है.