नई दिल्ली: सरकार की आर्थिक नीतियों के निर्माण के लिए बेहद अहम माने जाने वाले इकोनॉमिक सर्वे की शुरुआत देश की राजधानी दिल्ली से शुरू हो चुकी है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा शुक्रवार से आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) का काम शुरू किया गया. पहली बार समस्त डाटा को स्मार्ट फोन या टैब पर लिया जाएगा, जिससे आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य जल्द संपन्न किया जाए.
सामाजिक सांख्यिकी विभाग के महानिदेशक एके साधू ने कहा कि पहली बार आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य डिजीटल प्लेटफॉर्म पर एप्लीकेशन के माध्यम से किया जा रहा है. डिजीटल प्लेटफॉर्म के उपयोग से यह लाभ होगा कि समस्त डाटा सटीक होगा और यह पूरी तरह से सुरक्षित होगा. आर्थिक सर्वेक्षण शुरू करने वाला दिल्ली 26वां राज्य है. जबकि 20 राज्य और 5 संघ शासित प्रदेश में यह कार्य पहले से चल रहा है. दिल्ली में इस समस्त सर्वेक्षण को पूरा होने में लगभग 3 महीने लगेंगे. इस दौरान सर्वेक्षण करने वाले दिल्ली के 45 लाख घरों ढांचागत आधार तक जाकर लोगों से संबंधित आर्थिक डाटा जुटाएंगे. निर्मला सीतारमण का दावा पटरी पर लौट रही है अर्थव्यवस्था, बढ़ रहा निवेश
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आर्थिक सर्वेक्षण हर पांच साल में होता है. यह देश की आर्थिक नीतियां बनाने और सरकार की विभिन्न योजनाएं बनाने के लिए काफी अहम है. हमनें पहली बार कागज पर सर्वेक्षण करने की जगह डिजीटल प्लेटफॉर्म का उपयोग शुरू किया है. इससे समस्त डाटा के मूल्यांकन में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा. जिससे देश के सामने आर्थिक सर्वेक्षण जल्द आएगा. यही वजह है कि इस बार रिकार्ड समय में आर्थिक सर्वेक्षण सामने आएगा.
करीब डेढ़ लाख प्रशिक्षित सर्वे करने वाले कार्यकर्ता देश भर में लगभग 35 करोड़ घरों में जाएंगे और देश के लगभग सभी व्यक्ति से जुड़ा आर्थिक डाटा हासिल करेंगे. इस समय करीब 22 करोड़ लोगों तक हमारी टीम पहुंच गई है. इनमें से लगभग 3.5 करोड़ लोगों का डाटा हमनें एकत्रित कर लिया है.
देश में आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य पहली बार 1978 में किया गया था. यह सातवां सर्वेक्षण है. इसमें हर व्यक्ति का आर्थिक डाटा एकत्रित किया जाएगा. देश भर में इसके लिए दिन-रात कार्य किया जा रहा है. प्रति दिन देश भर में लगभग दस लाख घरों तक सर्वे करने वाले पहुंच रहे हैं.