देश की तमाम राजनीतिक पार्टियों के साथ चुनाव आयोग (EC) ने भी आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के लिए तैयारी शुरू कर दी है. सियासी पारा अपने चरम पर है. ऐसे में चुनाव को लेकर इलेक्शन कमिशन कोई कोरकसर बाकी नहीं रख रही है. इस बार के चुनाव में तकरीबन 90 करोड़ मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. वहीं चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनावों से पहले 33 करोड़ रुपये की कीमत पर पक्की स्याही की 26 लाख बोतलों का ऑर्डर दिया है. जिसकी कुल कीमत करीब 33 करोड़ रुपये होगी.
वहीं साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान EC ने 21.5 लाख शीशियां मंगाई थी जो इस साल के मुकाबले 4.5 लाख कम थी. इस बार के लोकसभा चुनाव में आयोग की ओर से मंगाई गई पक्की स्याही के निशान को मिटाना भी काफी मुश्किल होगा. एक बार पर उँगलियों पर लगा तो काफी समय तक उसका निशान बना रहेगा. इस स्याही की खास बात यह है कि इस पर किसी भी प्रकार का रसायन भी काम नहीं करता है और इसे आसानी से छुड़ाया भी नहीं जा सकता है. इस स्याही का प्रयोग दुबारा वोट न करने और पहचान के लिए लगाई जाती है.
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जाने कहां से आती है यह पक्की स्याही
बता दें कि कर्नाटक सरकार का उपक्रम मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड चुनाव आयोग के लिए पक्की स्याही बनाने के लिए अधिकृत एकमात्र निर्माता है. कंपनी को चुनाव आयोग से 10-10 क्यूबिक सेंटीमीटर की 26 लाख शीशियां बनाने का आर्डर प्राप्त हुआ है. जो संभावित टर्नओवर करीब 33 करोड़ रुपये का है. मैसूर पेंट्स विश्व भर में 30 से ज्यादा देशों को पक्की स्याही निर्यात करता है. चुनाव आयोग ने 1962 में कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के साथ मिलकर मैसूर पेंट्स के साथ लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में पक्की स्याही की आपूर्ति के लिए अनुबंध किया था.
गौरतलब हो कि लोकसभा की 543 सीटों के लिए मतदान 11 अप्रैल, 18, 23, 29 अप्रैल और छह, 12, 19 मई को होंगे और मतगणना 23 मई को की जाएगी.