उत्तर भारत में जारी है सर्दी का सितम, शीतलहर और बर्फबारी के चलते जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त
उत्तर भारत में ठंड का कहर (Photo credit-Twitter)

पूरा उत्तर भारत ठंड और कोहरे की चपेट में आ गया है. पहाड़ों पर बर्फबारी और शीतलहर ने लोगों को सुन्न कर दिया. राजधानी दिल्ली में तो ठंड ने पिछले 5 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. आप ठंड का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली में इन दिनों शीतलहर के चलते मृतकों की संख्या बढ़ गई है. ठंड का आलम ये है कि अमृतसर में तापमान जीरो डिग्री तक पहुंच चूका है. दिल्ली में शिमला से ज्यादा ठंडी हो गई है. कोहरे की वजह से करीब 150 से ज्यादा ट्रेन देरी से चल रही हैं और दर्जन भर ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है. कोहरे का असर हवाई उड़ानों भी देखा गया है. घने फोग के कारण 55 उड़ानों पर भी असर पड़ा है.

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, शिमला, देहरादून, नैनीताल जैसी जगहें पर्यटकों को खूब लुभा रही हैं. बर्फ की सफेद चादर पुरे सड़क पर बिछी है. पेड़-पौधों पर बर्फ की यह चमकील किरण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. इस सीजन में पर्यटक और टूरिस्ट जमकर कर इसका लुप्त उठा रहे हैं. जहां यह बर्फ और ठंड पर्यटकों के लिए छुट्टी बिताने का सुनहर मौका है वहीं उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में शीतलहर का प्रकोप बना हुआ है. मौसम के बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है.

मौसम विभाग के अनुसार बारिश और बर्फबारी का दौर एक बार फिर से चल सकता है. हिमपात वाले इलाकों में बसे क्षेत्र के चार दर्जन गांवों में जनजीवन पटरी पर नहीं आ पा रहा है. यातायात बाधित होने के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. पेयजल, सड़क, संचार जैसी समस्याओं ने लोगों की परेशानियां और बढा दी हैं. हिमपात से पेयजल लाइनों के स्रोत जमने पर लोगों को बर्फ पिघलाकर प्यास बुझानी पड़ रही है.

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ऊंचाई वाले क्षेत्र में बसे ग्रामीणों के सामने सबसे बडी समस्या बीमार को अस्पताल तक पहुंचाने में आ रही है. मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ के नए सिस्टम से ठंड 2 फरवरी तक बरकरार रहेगी. जहां मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में बारिश हो सकती है वहीं बिहार में पारा गिरने की आशंका बढ़ गई है. जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में इस हफ्ते बारिश के साथ भारी बर्फबारी के आसार ज्यादा हैं. यानी, आने वाले दिन भी सर्दी और कोहरे की चादर में लिपटे रहने वाले हैं. मतलब कोल्ड अटैक अभी कुछ दिन और यूं ही झेलना होगा.