देवप्रयाग: गंगा पूजन के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन का पैर फिसला, बाल-बाल बचे- देखें VIDEO
उत्तराखंड ( Uttarakhand) हाईकोर्ट ( High Court) के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन (Justice Ramesh Ranganathan) उस वक्त बाल-बाल बच गए, जब गंगा पूजन के दौरान उनका पैर देवप्रयाग (Sangam in Devprayag) में फिसल गया. लेकिन इस दौरान उनके साथ खड़े सीओ नरेंद्रनगर प्रमोद शाह की तत्परता से न्यायाधीश रमेश रंगनाथन को बचा लिया. इसी के साथ एक अनहोनी घटना टल गई. दरअसल मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन अपनी पत्नी के साथ शनिवार को देवप्रयाग तीर्थ दर्शन को पहुंचे थे. इस दौरान न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने संगम स्थल पर गंगा पूजन व दर्शन की इच्छा जताई. अपनी पत्नी के साथ जब रमेश रंगनाथन वहां पहुंचे तो पूजा के लिए जैसे ही वह गंगा नदी की ओर बढ़े तो उनका पांव फिसल गया.
उत्तराखंड ( Uttarakhand) हाईकोर्ट ( High Court) के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन (Justice Ramesh Ranganathan) उस वक्त बाल-बाल बच गए, जब गंगा पूजन के दौरान उनका पैर देवप्रयाग (Sangam in Devprayag) में फिसल गया. लेकिन इस दौरान उनके साथ खड़े सीओ नरेंद्रनगर प्रमोद शाह की तत्परता से न्यायाधीश रमेश रंगनाथन को बचा लिया. इसी के साथ एक अनहोनी घटना टल गई. दरअसल मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन अपनी पत्नी के साथ शनिवार को देवप्रयाग तीर्थ दर्शन को पहुंचे थे. इस दौरान न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने संगम स्थल पर गंगा पूजन व दर्शन की इच्छा जताई. अपनी पत्नी के साथ जब रमेश रंगनाथन वहां पहुंचे तो पूजा के लिए जैसे ही वह गंगा नदी की ओर बढ़े तो उनका पांव फिसल गया.
बता दें कि इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन ने पूजा किया और फिर घर के लिए निकल गए. साठ वर्षीय न्यायमूर्ति रंगनाथन उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले हैदराबाद उच्च न्यायालय में वरिष्ठतम न्यायाधीश थे. ज्ञात हो कि अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर देवप्रयाग स्थित है. इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है. देवप्रयाग में शिव मंदिर और रघुनाथ मंदिर हैं. यह भी पढ़ें:- पीएम नरेंद्र मोदी कानपुर के गंगा घाट पर फिसलकर गिरे, वीडियो वायरल.
हादसे का वीडियो:-
गौरतलब हो कि देवप्रयाग को दक्षिण भारत में कंडवेंनुकडीनगरम के नाम से जाता है, जबकि नीलमपेरूमल पुण्डरीक वल्ली के रूप में जबकि भगवान रघुनाथ की पूजा कीया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी नदी को सास और अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है. हर साल यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.