Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय में दिल्ली सरकार के 20 कॉलेजों में प्रिंसिपल के पद खाली
दिल्ली विश्वविद्यालय (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली, 3 अप्रैल : दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से सम्बद्ध दिल्ली सरकार के 20 से अधिक कॉलेजों में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं. इसके अलावा लगभग दो हजार सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति की जानी है. इन पदों पर नियुक्ति किए जाने को लेकर 2018--2019 में विज्ञापन निकाले गए थे. निकाले गए विज्ञापनों की समय सीमा नवम्बर, दिसम्बर 2020 में समाप्त हो चुकी है. अब इन पदों को भरने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन (University Administration) को या तो फिर से विज्ञापन निकालने के लिए कॉलेजों को सकरुलर जारी करना पड़ेगा या शुद्धिपत्र ( कोरिजेंडम ) देना होगा. दिल्ली सरकार के कॉलेजों में खाली पड़े प्रिंसिपल व सहायक प्रोफेसर के पदों को भरने के शिक्षक संगठनों ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मांग की है. दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (Dta) के प्रभारी व एकेडेमिक काउंसिल के पूर्व सदस्य डॉ हंसराज 'सुमन' ने बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में लंबे समय से प्रिंसिपल पदों को नहीं भरा गया है.

कुछ कॉलेजों में 5 साल और उससे अधिक समय से कार्यवाहक ओएसडी के रूप में कार्य करते हुए हो गए हैं. यूजीसी रेगुलेशन के अंतर्गत स्थायी प्रिंसिपल का कार्यकाल 5 साल का होता है, मगर ये प्रिंसिपल उससे ज्यादा समय तक अपने पदों पर बने हुए हैं मगर उनकी स्थायी नियुक्ति आज तक नहीं की गई. डॉ हंसराज ने कहा कि, "दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन बार-बार इन्हें एक्सटेंशन दे रहा है जबकि अधिकांश कॉलेजों ने अपने यहां प्रिंसिपल पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाले थे, लेकिन दिल्ली सरकार के इन कॉलेजों में गवनिर्ंग बॉडी नहीं थीं. अब इन कॉलेजों में सरकार की गवनिर्ंग बॉडी को भी एक्सटेंशन मिला हुआ है. ऐसी स्थिति में फिर से विज्ञापन देकर इन पदों का रोस्टर बनाकर भरा जा सकता है." यह भी पढ़ें : कोरोना के मद्देनजर छात्रों को प्रैक्टिकल बाद में देने की छूट, रद्द नहीं होंगे प्रैक्टिकल और बोर्ड परीक्षा

डीटीए ने मांग की है कि विज्ञापन निकालने से पहले इन पदों का रोस्टर रजिस्टर तैयार कराया जाए . रोस्टर रजिस्टर तैयार होने पर जो पद एससी, एसटी ,ओबीसी व विक्लांगों के बनते हैं उसी के आधार पर इन पदों का विज्ञापन निकाला जाए. इसके बाद प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति की जा सकती है. डॉ सुमन ने बताया है कि, "प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति न होने से इन कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति भी नहीं हो पा रही है, जबकि गैर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति व पदोन्नति की जा रही है. लंबे समय से प्रिंसिपल पदों पर नियुक्तियां ना होने से 20 से अधिक कॉलेजों के प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हुए हैं. ये सभी कॉलेज दिल्ली सरकार के हैं जहां अधिकांश कॉलेजों में गवनिर्ंग बॉडी सरकार की है.