नई दिल्ली, 24 जून : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शुक्रवार को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को अपने पद से तत्काल इस्तीफा देने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति दिनेश शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि आजीवन अध्यक्ष या आजीवन सदस्य का अवैध पद किसी अन्य पद या लाभ के लिए कदम नहीं हो सकता है, चाहे वह राष्ट्रीय स्तर पर (भारतीय ओलंपिक संघ सहित) या अंतरराष्ट्रीय निकायों में हो.
न्यायमूर्ति शर्मा ने आदेश में कहा, अगर आर-3 (बत्रा) को इतना फायदा हुआ है, तो इस तरह का लाभ या पद तुरंत खत्म हो जाएगा. सीओए को मामले को देखने दीजिए, भारत सरकार को भी. दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, निकाय के वरिष्ठतम उपाध्यक्ष अनिल खन्ना आईओए के नए कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे. अदालत का आदेश पूर्व हॉकी खिलाड़ी असलम शेर खान द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर है- जो 1975 के हॉकी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली विजेता टीम का हिस्सा था.
25 मई को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना था कि हॉकी इंडिया ने राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन किया है और अपने दिन-प्रतिदिन के मामलों को चलाने के लिए प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति (सीओए) का गठन किया है. अदालत ने बत्रा के 'आजीवन' सदस्य की स्थिति को भी उस याचिका पर हटा दिया था जिसमें बताया गया था कि बत्रा द्वारा 'आजीवन सदस्य', 'सीईओ' और 'आजीवन अध्यक्ष' के पद एनएससीआई, परिपत्र 1975 और 2001 दिशानिर्देश के घोर उल्लंघन में बनाए गए हैं. यह भी पढ़ें : मुकेश अंबानी ने ‘असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बाढ़ राहत’ के लिए 25 करोड़ रुपये का दान दिया
पहले के आदेश में, यह कहा गया था कि प्रतिवादी बत्रा पूरी तरह से जानते थे कि एनएसएफ में आजीवन अध्यक्ष और आजीवन सदस्य का पद अवैध है, और सरकार द्वारा विशेष रूप से सूचित किया गया था. फिर भी जब हॉकी इंडिया को 28 मई, 2009 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत किया गया था और सरकार द्वारा तत्काल मान्यता प्रदान की गई थी, उसके कुछ दिनों के भीतर, प्रतिवादी ने आगे बढ़कर खुद को हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के रूप में नियुक्त किया था.