अब भीख मांगने पर दिल्ली में नहीं होगी कोई सजा, जानें कारण
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक आदेश में भीख मांगने को आपराधिक मामला मानने से इनकार करते हुए इसके लिए दंड के कानूनों को निरस्त कर दिया.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक आदेश में भीख मांगने को आपराधिक मामला मानने से इनकार करते हुए इसके लिए दंड के कानूनों को निरस्त कर दिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने बंबई प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट के तहत भीख मांगने पर अभियोग चलाने के प्रावधानों को निरस्त कर दिया.
पीठ ने भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से हटा दिया और कहा कि कानून के प्रावधानों के तहत अभियोग चलाना असंवैधानिक है.
हालांकि अदालत ने भीख मांगने के लिए बाध्य करने वाले गिरोह पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार को वैकल्पिक कानून लाने का अधिकार प्रदान किया.
अदालत ने हर्ष मंदर और कर्णिका साहनी द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की. इन याचिकाओं में अदालत से राष्ट्रीय राजधानी में भिखारियों के लिए मानवीय और मौलिक अधिकार की मांग करते हुए भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से हटाने की गुहार लगाई गई थी.
याचिकाओं में दिल्ली में सभी भिखारी-गृहों में उचित भोजन और चिकित्सा की सुविधा समेत मूलभूत सुविधाओं की मांग की गई थी.