Cyclone Nisarga Update: चक्रवात निसर्ग का जलवायु परिवर्तन से संबंध
चक्रवाती तूफान निसर्ग (Photo Credit: Twitter)

अरब सागर में कम दबाव के क्षेत्र बनने से अगले 12 घंटे में चक्रवात निसर्ग विकराल रूप धारण कर सकता है. चक्रवात निसर्ग 3 जून को भारत के तटीय क्षेत्रों से टकरायेगा.मौसम विभाग ने भारी बारिश के साथ तेज़ आंधी की चेतावनी दी है, जिसके चलते कई इलाकों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं. मॉनसून के पहले लगातार दो चक्रवात का आना सामान्‍य बात नहीं है. वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देख रहे हैं. मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण गुजरात में 70 से 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने और भारी बारिश होने का अनुमान है। सूरत से 900 किलोमीटर दूर अरब सागर में बने कम हवा के दबाव के क्षेत्र से अगले 24 घंटे में चक्रवाती तूफान के विकाराल होने की आशंका है.

तट से 710 किमी दूर तूफान के अगले छह घंटे बाद सूरत पहुंच सकता है. मौसम विभाग के अनुसार, 02 जून की रात को दमन और हरिहरेश्वर रायगढ़ के बीच तूफान गुजरने की संभावना है. इसका असर दक्षिण गुजरात पर पड़ेगा. मंगलवार और बुधवार को कई जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। सूरत जिले में 03 जून की शाम 70 से 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी. यह भी पढ़े: Cyclone Nisarga: मुंबई से कल टकरा सकता है चक्रवात ‘निसर्ग’, IMD के अलर्ट के बाद समुद्र तट से वापस लौटे मछुआरे

159 गांवों में अलर्ट

सूरत के जिला कलेक्टर ने मछुआरों को समुद्र से वापस बुला लिया है. तूफान का प्रभाव सुवाली के तट पर दिखने लगा है. समुद्र में ऊंची लहरें उठने लगी हैं। साथ ही डुमस, सुवाली और डभारी में लोगों के समुद्र तट पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिला कलेक्टर ने समुद्र तट क्षेत्र के 32 गांवों को अलर्ट कर दिया है, जिसमें ओलपाड के 21 गांव, चौरासी के 7 गांव और माजुरा के 4 गांव शामिल हैं. लोगों को अपने घरों में ही रहने की सलाह दी गई है. निचले इलाकों और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को स्थानीय अधिकारियों ने आश्रय गृह में जाने की हिदायत दी है। इसके चलते भावनगर, अमरेली के 50 और सौराष्ट्र व दक्षिण गुजरात के 159 गांवों को अलर्ट कर दिया गया है.  मछुआरों को समुद्र से दूर रहने के निर्देश दिए गए हैं.सूरत जिले में रहने वाले लोगों ने संभावित संकट से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है.

तापमान और तूफान का गहरा संबंध

इंडियन इंस्‍ट‍िट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटियोरोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. रॉक्‍सी मैथ्‍यू कोल का कहना है कि अम्‍फान और निसर्ग दोनों का मूल कारण समुद्र का बढ़ता तापमान है.अम्‍फान के पहले बंगाल की खाड़ी में तापमान में 30 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा था, जबकि इस समय जब निसर्ग दस्तक दे रहा है, तब अरब सागर का तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच में है। इस प्रकार की अचानक होने वाली घटनाएं कई बार मौसम विभाग के सिस्‍टम में कैद नहीं हो पाती हैं.

कैसे पड़ रहा है भारतीय महासागर का प्रभाव

लगभग सभी ट्रॉपिकल साइक्लोन पूर्वी एशिया, उत्तरी अमेरिका और सेंट्रल अमेरिका क्षेत्र में गहरा जाते हैं। दुनिया के सभी चक्रवातों के 7 प्रतिशत चक्रवात उत्तरी भारतीय महासागर और बंगाल की खाड़ी में बनते हैं यही कारण है कि इनके भारत पर प्रभाव काफी विनाशकारी होते हैं। डॉ. रॉक्‍सी ने प्री-मॉनसून ट्रॉपिकल साइक्‍लोन के बारे में बताया कि आईपीसीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार समुद्र के तापमा के बढ़ने के कारण भारतीय मॉनसून के पहले और बाद में अरब सागर में चक्रवात बनने की घटनाएं बढ़ेंगी.

मॉनसून के पहले और बाद में भारी बारिश

कार्बन उत्सर्जन के चलते ग्‍लोबल वॉर्मिंग की वजह से पृथ्‍वी का वातावरण तेज़ी से गर्म हो रहा है.अधिक गर्म वातावरण अधिक मात्रा में पानी को रोक सकता है, इसके प्रभाव मॉनसून के पहले और बाद में भारी बारिश के रूप में देखने को मिलते हैं. बीते वर्षों की बात करें तो 2015 में चेन्‍नई में नवम्‍बर-दिसंबर के महीने में बाढ़ आयी थी। अगस्‍त 2018 में जब केरल में मॉनसून खत्‍म होने को था, तब भारी बारिश के चलते बाढ़ आयी थी। उस दौरान कर्नाटक के कोडगु व आस-पास के इलाकों में भी भारी तबाही मची थी.