Covid -19 Vaccine: फाइज़र की वैक्सीन की तुलना में क्यों बेहतर हैं कोवीशील्ड, कोवैक्सिन
भारत सरकार ने एक साथ दो वैक्सीन को मान्यता दी है. जिसमें एक पूर्ण रूप से स्वदेशी है और दूसरी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका कंपनी के सहयोग से बनाई गई है, जिसका उत्पादन भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट कर रही है.
भारत सरकार ने एक साथ दो वैक्सीन को मान्यता दी है. जिसमें एक पूर्ण रूप से स्वदेशी है और दूसरी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (University of Oxford) और एस्ट्राजेनेका कंपनी (AstraZeneca Company) के सहयोग से बनाई गई है, जिसका उत्पादन भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट कर रही है. फाइजर की तुलना में ये दो वैक्सीन क्यों खास है, यह बताया सर गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. ले.जनरल वेद चतुर्वेदी (Ved Chaturvedi) ने. उन्होंने कहा कि वैक्सीन फाइज़र (Vaccine Pfizer) की भी अच्छी है, लेकिन भारत की भौगोलिक संरचना और उपलब्ध संसाधनों के हिसाब से कोवीशील्ड और कोवैक्सिन (Kovaxin and kovshield) यहां ज्यादा उपयुक्त होंगी.
कोवैक्सिन और कोवीशील्ड में अंतर
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. वेद ने बताया कि पहला बड़ा अंतर है कि एक पूर्ण रूप से स्वदेशी वैक्सीन है और दूसरी विदेशी कंपनी के साथ बनायी गई है. कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने मिलकर बनाया है. इस वैक्सीन को पारंपरिक विधि से वायरस को इनऐक्टिवेट करके बनाया गया है. वहीं दूसरी वैक्सीन ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका कंपनी ने बनायी है. इसे वायरस के जीन का प्रयोग करके बनाया गया है. दोनों वैक्सीन के लिए करीब 3 से 5 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. इन दोनों को साधारण फ्रिज में रखा जा सकता है. यह भी पढ़ें : Corona Vaccine: पेइचिंग में मुख्य लोगों में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू
फ़ाइज़र की वैक्सीन को चाहिए माइनस 70 डिग्री तापमान
फाइज़र (Pfizer) की वैक्सीन की तुलना में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन बेहतर क्यों मानी जा रही हैं इस बारे में डॉ. वेद कहते हैं कि हमें केवल वैक्सीन के कंटेंट पर नहीं जाना है, हमें यह भी देखना है कि वैक्सीन सही ढंग से लोगों तक पहुंच जाये. कोवीशील्ड और कोवैक्सिन दोनों ही 2 से 5 डिग्री तापमान पर रखी जा सकती हैं, यानी कि साधारण फ्रिज में रखकर इन्हें कहीं भी भेजा जा सकता है. लेकिन फाइज़र की वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए. हमें वैक्सीन केवल दिल्ली, मुंबई नहीं पहुंचानी है, बल्कि दूर दराज़ के इलाकों तक वैक्सीन को लेकर जाना है. कोल्ड चेन को बनाये रखने की बात करना आसान है, लेकिन उसे वास्तव में करना बहुत मुश्किल है. यह भी पढ़ें : COVID-19 Vaccine Update: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को अपनी कोरोना वैक्सीन ‘Covishield’ के निर्माण के लिए मिली DCGI की अनुमति
वैक्सीन देने के लिए 90 हजार लोगों को प्रशिक्षण
डॉ. वेद ने बताया कि कोविड-19 की किसी भी वैक्सीन की तुलना आम वैक्सीन से नहीं कर सकते. ये वैक्सीन बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दी जानी है. बच्चों को आम तौर पर दी जाने वाली वैक्सीन का उत्पादन पैदा होने वाले बच्चों की संख्या को देखते हुए किया जाता है, लेकिन ये वैक्सीन चरणबद्ध तरीके से सभी को देनी है. पहले चरण में 3 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी. उसके बाद भी यह पहला फेज़ जारी रहेगा जिसमें 30 करोड़ लोगों को सितम्बर-अक्टूबर तक वैक्सीन दी जाएगी. उसके बाद बाकी लोगों का नंबर आयेगा. यह बहुत जटिल प्रक्रिया है और इसके लिए 90 हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है. डॉ. वेद ने कहा कि टीकाकरण के साथ-साथ वैक्सीन पर अध्ययन अभी भी जारी रहेगा. वैक्सीन से होने वाले प्रभावों पर अध्ययन करने के बाद ही तय किया जाएगा कि यह टीका बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कब देना है.