देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट 'डेल्टा प्लस' से संक्रमित मरीजों की पुष्टि होने के बाद सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. राज्य सरकार डेल्टा प्लस वेरियंट के खतरे के मद्देनजर सख्ती बढ़ा रही है. हाल ही में केंद्र सरकार ने आठ राज्यों को चिट्ठी लिखकर कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के लिए अलर्ट किया है. नए वेरिएंट को देखते हुए केंद्र ने राज्यों से कोरोना टेस्टिंग, ट्रैकिंग और वैक्सीनेशन की रफ्तार को और बढ़ाने के लिए कहा है. साथ ही जहां-जहां भी डेल्टा प्लस के मरीज मिल रहे हैं, वहां जरा भी कोताही न बरतने के लिए कहा गया है. ओड़िशा में कोविड-19 के डेल्टा प्लस स्वरूप का मरीज घर में पृथक-वास में हुआ ठीक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 25 जून तक भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 48 केस दर्ज हुए. महाराष्ट्र में नए स्ट्रेन के कुल 21 मामले, मध्य प्रदेश में छह, केरल और तमिलनाडु में तीन-तीन, कर्नाटक में दो और पंजाब, आंध्र प्रदेश और जम्मू में एक-एक मामले पाए गए हैं. विशेषज्ञ ऐसी संभवना जाता रहे है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर का कारण डेल्टा प्लस वेरियंट हो सकता है.
डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है?
यह डेल्टा वायरस सार्स-कोव-2 या बी.1.617.2 का एक म्यूटेंट वेरिएंट है, जिसे डेल्टा के रूप में जाना जाता है. इसके स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन होता है, जो इसे अधिक पारगम्य बनाता है और प्रतिरक्षा से बचने में सक्षम होता है. कोविड-19 का डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट का एक म्यूटेशन है, जब डेल्टा वेरिएंट संभावित महत्व के अतिरिक्त म्यूटेशन विकसित करता है, तो इसे डेल्टा प्लस कहा जाता है. डेल्टा पहले ही दुनियाभर के 80 देशों में फैल चुका है. भारत के बाद, अब यह ब्रिटेन में, अमेरिका के कुछ राज्यों में, सिंगापुर और दक्षिणी चीन में तेजी से फैल रहा है.
दरअसल वायरस हमेशा अपना जेनेटिक स्ट्रक्चर बदलता रहता है, इसमें वायरस का स्पाइक प्रोटीन बदल जाता है. यह डेल्टा प्लस वेरिएंट काफी खतरनाक माना जा रहा है. इसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी प्रभावी नहीं हो सकती हैं या जिन्हें वैक्सीन लगी है उन्हें भी संक्रमण हो सकता है. अभी तक भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट के करीब 50 मामले आ चुके हैं.
डेल्टा प्लस वेरिएंट कितना खतरनाक है?
इस नए वेरिएंट के संक्रमण की संभावना पुराने से कितनी तेज है इसे लेकर स्टडी चल रही है. वैसे ये डेल्टा प्लस भी लगभग दो महीने पुराना ही है और करीब दर्जनभर देशों में फैल चुका है. हालांकि केस की संख्या बहुत ज्यादा मई में पाई गई है. इसके संक्रमण के इलाज में काफी समय लग रहा है, जो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी जा रही थी उसका असर भी नहीं हुआ. इसलिए इसे थोड़ा ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है. लेकिन वेरिएंट कोई भी हो बचने का तरीका वही पुराना है.
इंडियन सार्स-सीओवी-2 जेनेटिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) ने बताया कि वर्तमान में चिंताजनक वैरिएंट (वीओसी) बना डेल्टा प्लस वैरिएंट की निम्नलिखित खासियतें हैं- ज्यादा संचरण क्षमता (Increased Transmissibility), फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर्स से मजबूती से जुड़ने में सक्षम (Stronger Binding To Receptors Of Lung Cells) और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया में संभावित कमी (Potential Reduction In Monoclonal Antibody Response).
क्या डेल्टा प्लस वेरिएंट के लक्षण भी अलग हैं?
अभी इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है. कोरोना वायरस के अन्य वेरिएंट की तरह ही इसके भी लक्षण वही हैं. इनमें बुखार, खांसी, गले में खराश, सुगंध-स्वाद का जाना ही है. कोविड-19 की तीसरी लहर को रोकना संभव है बशर्ते व्यक्ति और समाज कोविड के उचित व्यवहार का पालन करें. लोगों को सामूहिक रूप से इकट्ठा होने से बचना चाहिए, मास्क का सही और लगातार उपयोग करना चाहिए.
डेल्टा प्लस वेरिएंट पर कितनी असरदार है वैक्सीन?
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन सार्स-सीओवी-2 के अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कारगर है, जबकि डेल्टा के खिलाफ उनकी प्रभावशीलता डेल्टा प्लस वैरिएंट की टेस्टिंग की जा रही है और परिणाम कुछ दिनों में सामने आ जाएंगे.