कोरोना संकट: सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया को बीच की सीटों के साथ उड़ान भरने वाले आदेश में संशोधन से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को लाने वाली फ्लाइट में छह जून तक बीच की सीट पर लोगों को बैठाने की इजाजत वाले आदेश में बदलाव करने से मना कर दिया है. शीर्ष अदालत ने बुधवार को एयर इंडिया को दस दिनों के लिए परिचालन करने, बीच की सीटों के साथ उड़ान भरने और विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने वाले आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है. प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना और न्यायाधीश हृषिकेश रॉय ने अपने आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया.

एयर इंडिया (Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 27 मई. सुप्रीम कोर्ट ने विदेशों में फंसे हुए भारतीयों को लाने वाली फ्लाइट में छह जून तक बीच की सीट पर लोगों को बैठाने की इजाजत वाले आदेश में बदलाव करने से मना कर दिया है. शीर्ष अदालत ने बुधवार को एयर इंडिया को दस दिनों के लिए परिचालन करने, बीच की सीटों के साथ उड़ान भरने और विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने वाले आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है. प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना और न्यायाधीश हृषिकेश रॉय ने अपने आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा कि उन्होंने (केंद्र और एयर इंडिया) जो कुछ भी किया है; यह कितना भी बुरा हो, मगर अंतरिम व्यवस्था 10 दिनों तक जारी रहेगी.

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि केंद्र ने मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई है. पीठ ने कहा कि वह भरोसा करती है कि समिति सभी प्रासंगिक विचारों को ध्यान में रखेगी. पीठ ने जोर देकर कहा कि वह पिछले सप्ताह एक अंतरिम आदेश पारित करने के बाद मामले में भ्रम पैदा नहीं करना चाहती. पीठ ने देवेन कनानी द्वारा दायर हस्तक्षेप पर अपनी प्रतिक्रिया दी, जिन्होंने देश में कोविड-19 मामलों में तेजी को देखते हुए 25 मई के आदेश को संशोधित करने की मांग की है.याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यह एक गंभीर मुद्दा है और इससे यात्रियों व चालक दल को संक्रमित होने का खतरा हो सकता है. पीठ ने कहा कि इसने केंद्र से फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए कहा है और वे ऐसा कर रहे हैं. मेहता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि नागरिकों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है. यह भी पढ़ें-कोरोना से जंग: पीएम केयर्स फंड से 3100 करोड़ रुपए आवंटित, प्रवासी मजदूरों-वैक्सीन और वेंटिलेटर खरीदने में खर्च होंगे पैसे

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह बंबई हाईकोर्ट को मामले का फैसला करने दें. याचिकाकर्ता ने इस मामले पर फैसला करने के लिए हाईकोर्ट की प्रतीक्षा करने के बजाए शीर्ष अदालत से कुछ जरूरी आदेश की मांग की. पीठ ने किसी भी आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता के वकील ने आवेदन वापस लेने पर सहमति व्यक्त की.

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना और न्यायाधीश हृषिकेश रॉय की पीठ ने 25 मई को अपने आदेश में कहा, हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता व एयर इंडिया को छह जून 2020 तक की मध्य सीटों की बुकिंग के साथ गैर-अनुसूचित उड़ानों को संचालित करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा कि इसके बाद एयर इंडिया बंबई हाईकोर्ट द्वारा पारित किए जाने वाले अंतरिम आदेश के अनुसार गैर-अनुसूचित उड़ानों का संचालन करेगी. खंडपीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र और एयर इंडिया की अपील पर सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ईद की छुट्टी के दौरान तत्काल सुनवाई की.

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