तीन महीने के लॉकडाउन के बाद अब जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है, लेकिन इस बार खुद को और आदतों को बदलाव के साथ जीने की जरूरत है. खास तौर पर ऑफिस जाने पर सावधान रहना है. डब्ल्यूएचओ ने एसी से भी वायरस के संक्रमण होने का खतरा बताया था. लेकिन कुछ सावधानियों के साथ एसी चलाकर संक्रमण की संभावना को कम कर सकते हैं. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो चाहे घर हो या ऑफिस एसी चल रहा हो या नहीं, कोरोना से बचने के लिए क्रॉस वेंटिलेशन बहुत जरूरी है. प्रसार भारती से बातचीत में गंगा राम अस्पताल की डॉ माला श्रीवास्तव कहती हैं कि अगर सेंट्रल एसी है तो कुछ बदलाव करके प्रयोग कर सकते हैं. ऐसी सेटिंग करें कि रेट ऑफ इनफ्लो ऑफ एयर है वह एसी के रेट ऑफ आउट फ्लो से कम हो. यानी एसी में नेगिटिव प्रेशर होना चाहिए. चेंज ऑफ एयर परऑवर 6 और 8 होता है. कोविड के समय में 12-15 परआवर होना चाहिए. ऐसे बदलाव कार्यालयों में लगे एसी में करने चाहिए. अन्यथा अच्छा है खिड़की खोल कर रखें या एसी का प्रयोग न करें. वहीं घर में अगर विंडो एसी है तो कोई बहुत परेशानी की बात नहीं है. इसके अलावा घर में खिड़की, दरवाज़े आदि होते हैं जो खुलते रहते हैं, तो हवा का क्रॉस वेंटीलेशन (cross ventilation) होता रहता है. कमरा पैक नहीं होना चाहिए, कहीं भी खिड़की आदि खोल कर रखें.
वहीं कोरना से वर्तमान स्थिति पर डॉ माला ने कहा कि कोरोना महामारी का संक्रमण काफी तेज होता है और अभी तक दुनिया में किसी के भी पास इलाज या दवा नहीं है. कुछ दवाइयों के ट्रायल के बाद मरीजों को देने की अनुमति दी गई गई है. लेकिन अभी सभी के पास इससे बचने के लिए एक ही उपाय है. सोशल डिस्टेंसिंग और हैंडवॉश के साथ नियमों का पालन करना. इसके अलावा हमारे देश में ज्यादा लोग रिकवर कर रहे हैं. उसकी वजह मान सकते हैं कि हो सकता है वायरस म्यूटेट होकर आया है. हालांकि इससे निश्चिंत नहीं होना है क्योंकि अभी जो स्थिति है उसमें सतर्क रहने की जरूरत है.
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सरकार ने इन दिनों कई दवाइयों को देने की अनुमति दी है लेकिन फेविपिराविर ज्यादा सुर्खियों में है, इसके देने से मरीजों ज्यादा रिकवर कर रहे हैं इस सवाल पर उन्होंने कहा कि कोरोना के मरीजों के इलाज में कई दवाइयों को प्रयोग करते हैं. लेकिन किस मरीज को दवाई का फायदा हुआ और कौन इम्यूनिटी से ठीक हुआ यह बताना मुश्किल है. लेकिन इलाज के बाद देखा गया है कि किसी में एंटवायरल दवाएं काम कर रही हैं, तो कई में प्लाजमा थैरपी इस तरह अलग-अलग मरीजों पर कौन सी दवा ज्यादा असर कर रही है ये कहना अभी संभव नहीं है.