COVID-19 Airborne: तीन तरह के होते हैं ड्रॉपलेट, जानिए किससे कितना कोरोना वायरस का है खतरा?
भारत कोरोना वायरस पर जिस तरह से नियंत्रण कर रहा है डब्ल्यूएचओ भी उसे मॉडल के रूप में बता रहा है. हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने मुंबई के धारावी में कोविड के संक्रमण को फैलने से कंट्रोल करने पर भारत की तारीफ की.
भारत कोरोना वायरस पर जिस तरह से नियंत्रण कर रहा है डब्ल्यूएचओ भी उसे मॉडल के रूप में बता रहा है. हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने मुंबई के धारावी में कोविड के संक्रमण को फैलने से कंट्रोल करने पर भारत की तारीफ की. लेकिन अभी भी कहा जा रहा है भारत समेत कई देश ऐसे हैं जहां वायरस म्यूटेट होकर पहुंचा है यानी उसकी शक्ति भी कम है या ज्यादा किसी को नहीं पता. साथ ही हवा में संक्रमण (COVID-19 Airborne) की बात भी आयी है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो हवा में संक्रमण ड्रॉपलेट के जरिए फैलता है, हालांकि कितनी दूर तक फैलता है, इस पर शोध जारी है. लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉ. मधुर यादव के अनुसार अक्सर जब कोई छींकता या खांसता है तो उसके ड्रॉपलेट कई तरह के होते हैं. एक जो भारी होते हैं वो नीचे बैठ जाते हैं और हल्के वाले हवा में रह जाते हैं. ये करीब 3-4 फीट की दूरी तक जा सकते हैं. इसलिए दो गज की दूरी को अनिवार्य किया गया है. इसके अलावा जो और छोटे होते हैं वो हवा में तैरते रहते हैं, अगर सभी मास्क पहने हैं तो कोई परेशानी नहीं है. वहीं जो ज्यादा भारी होते हैं वो नीचे गिर जाते हैं और हवा से या धूप में सूख जाते हैं.
बालकनी और छत पर भी लगाएं मास्क:
हवा में ड्रॉपलेट कुछ घंटे रहने की बात से लोग भी अब परेशान हो रहे हैं जो अक्सर घर की छत पर या बालकनी में बिना मास्क के टहलते, बैठते या योगा करते हैं. इस पर उन्होंने कहा कि अगर घर के अंदर हैं, बीमार नहीं हैं या घर में कोई बीमार नहीं है तो मास्क लगाने की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर बालकनी में या छत पर जा रहे हैं तो मास्क लगा कर रखें. क्योंकि अभी हवा में वायरस फैलता है कि नहीं इस पर शोध जारी है. जब तक शोध की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक बहुत एहतियात बरतें. हालांकि पहले जैसा कहा गया है कि यह वायरस ड्रॉपलेट से फैलता है और ड्रॉपलेट हवा में कुछ देर तक रह सकते हैं इसलिए मास्क पहनने से आप सुरक्षित रह सकते हैं.
कोरोना वायरस के स्ट्रेन में बदलाव कई बार होते हैं गभीर:
इस बारे में डॉ. यादव ने बताया कि कोरोना वायरस की शक्ति कम हुई है, मान सकते हैं, क्योंकि वायरस का कोई एक स्ट्रेन नहीं है, बल्कि कई स्ट्रेन हैं. अक्सर एक वायरस कई लोगों से होता हुआ गुजरता है तो उसमें कई बदलाव आते हैं और उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है. लेकिन कभी-कभी ये बदलाव अच्छा नहीं होता. वह गंभीर हो जाते हैं. इससे ये मालूम होता है कि वायरस के कई स्ट्रेन हैं. लेकिन अभी भी इसका असर कम नहीं हुआ है, संक्रमण बढ़ रहा है इसलिए बचाव ही एक मात्र रास्ता है.
एसिम्प्टोमेटिक से रहना है सावधान:
भारत में कोरोना के आंकड़ें आठ लाख के पार हो चुके हैं, जिनमें 5 लाख से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं. इन मरीजों में ज्यादातर लोग एसिम्प्टोमेटिक या कम लक्षण वाले हैं. लेकिन एसिम्प्टोमेटिक लोगों को कैसे संक्रमण कर सकते हैं. इस बारे में डॉ. मधुर ने बताया कि एसिम्प्टोमेटिक मरीज वो होते हैं जिनके अंदर इम्यूनिटी के कारण वायरस के लक्षण नहीं आते हैं. कई ऐसे तरीके हैं जिनके जरिए एसिम्प्टोमेटिक मरीज के सामने खड़े लोग संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए आपको पता है आप एसिम्प्टोमेटिक हैं तो बाहर न निकलें, आइसोलेट रहें. बाहर जाने पर मास्क लगाएं और सभी नियमों को अपनाएं. इसके सथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को लग रहा है कि लॉकडाउन खुल गया, सरकार ने बाहर जाने की अनुमति दे दी है. अब लोग बाहर निकल कर सोशल डिस्टेंसिंग को भूल गए हैं. लेकिन अभी भी जब तक बहुत जरूरी नहीं है तब घर में लाकडाउन की तरह ही रहें.