श्रीनगर: आंतकियों के नापाक मंसूबों पर उस वक्त पानी फिर गया जब जम्मू कश्मीर (Jammu- Kashmir) में 2019 की तरह पुलवामा (Pulwama) हमले जैसे हमले की साजिश को नाकाम कर दिया गया. इस बारे में जानकारी देते हुए जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि पूर्व में हुए आईईडी हमले की तरह ही इस साजिश में भी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है. हांलाकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिजबुल मुजाहिदीन के अलावा स्थानीय तत्वों और अन्य संगठन भी शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि जैसे पिछली बार फरवरी 2019 में पुलवामा में एक स्थानीय लड़के को फिदायीन के रूप में प्रयोग किया गया और वाहन को विस्फोट कर दिया था, उसी तरह इस बार भी जैश और लश्कर ने हमले को प्लान किया था. इस बार भी उसे दोहराने की कोशिश की जा रही थी.
उन्होंने बताया कि जैश का वालिद नाम का एक आतंकवादी है, जो पाकिस्तान से है; वह IEDs का एक्सपर्ट माना जाता है और इस घटना में उनका हाथ होने का संदेह है. इसके अलावा, कुछ अन्य संदिग्ध लोगों की भी पुष्टि की गई है, हांलाकि उन्हें लेकर अभी जांच चल रही है कि उनका इसमें हाथ है या नहीं। उन्होंने ये भी कहा कि अभी जांच हर एंगल से चल रही है. ऐसे में कुछ स्थानीय लोग भी सूची में हैं और सबूत मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यह भी पढ़े: पुलवामा की पहली बरसी: तीन दशक का सबसे घातक आतंकी हमला! जब 20 साल के आतंकवादी ने ली 40 जवानों की जान
डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि पिछले तीन-चार महीनों से इस तरह के इनपुट मिल रहे थे.इस महीने के आसपास ऐसे इनपुट बहुत ज्यादा आये हैं क्योंकि जंग-ए-बद्र वह समय है, जब वे ऐसे आपराधिक कार्यों के लिए जाते हैं. इस साल भी रमजान के महीने के दौरान यह अंदेशा था. इस बीच 11 मई को इनपुट आया था कि कुछ इसी तरह की कार्रवाई कहीं हो सकती है.जिसके बाद जवान दिन और रात अपनी तैनाती को बनाए रखते हुए और बिना अवरोध के इतने बड़े टारगेट को पूरा किया.
इस साजिश पर उन्होंने कहा कि हाल ही में घाटी में हिजबुल मुजाहिदीन का मुख्य कमांडर रियाज नायकू का मारा गया था. नाइकू के मारे जाने के बाद से ही वो किसी बड़े हमले की फिराक में थे. सभी सक्रिय संगठनों पर बहुत दबाव था, इसलिए जैश और लश्कर ने हिज्बुल मुजाहिदीन का समर्थन किया और कुछ बड़ा करने के लिए कहा, पुलिस और सुरक्षाबलों की मुस्तैदी की वजह से आज उनकी साजिश नाकाम कर दी गई,हालाकि उन्होंने इससे भी इनकार नहीं किया कि हो सकता है यह पाकिस्तान में हुई बैठक के बाद का फैसला हो, जिसमें हिज्ब के सैयद सलाहुद्दीन और जैश और लश्कर के कुछ अन्य लोगों ने हिस्सा लिया.
वहीं फरवरी 2019 में लेथपोरा में कार विस्फोट के पैटर्न से समानता करते हुए उन्होंने कहा कि एक बहुत ही समान पैटर्न है लेथपोरा में कार विस्फोट हुआ। उस घटना में सैंट्रो कार का इस्तेमाल किया गया था, इस घटना में भी सैंट्रो कार का इस्तेमाल किया गया. शायद, वह भी सफेद रंग था, यह भी सफेद रंग था। तब उस कार की भी एक फर्जी नंबर प्लेट थी, इस वाहन का भी फर्जी नंबर प्लेट थी. कार का नंबर वास्तव में जम्मू के कठुआ जिले की एक मोटरसाइकिल का है.
उस समय भी एक स्थानीय लड़के को फिदायीन के रूप में इस्तेमाल किया गया था और इसका हैंडल लश्कर और जैश द्वारा संभाला गया था, इस बार भी हमारे इनपुट ने संकेत दिए हैं कि इसी तरह लश्कर और जैश ने ही कमांन संभाली है और कुछ स्थानीय लड़के का उपयोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर वाहन के ट्रांसपोर्टेशन के लिए किया गया था। इस पर हम काम कर रहे हैं. 2019 का विस्फोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुआ था, इस वाहन को जब भी मौका मिलता राष्ट्रीय राजमार्ग पर ले जाने की कोशिश थी.