VIDEO: सीएम योगी ने पुंगनूर गायों के बच्चों के साथ बिताया खास पल, भवानी और भोला को दुलारते नजर आए मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में आंध्र प्रदेश की पुंगनूर नस्ल की दो गायों, भवानी और भोला के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना का प्रदर्शन किया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में आंध्र प्रदेश की पुंगनूर नस्ल की दो गायों, भवानी और भोला के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना का प्रदर्शन किया. गोरेखनाथ मंदिर के गोशाले में इन गायों की देखभाल करते हुए सीएम योगी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे प्यार से इन बच्चो को सहला रहे हैं. यह वीडियो न केवल उनकी पशु प्रेम की भावना को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे वह गायों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
पुंगनूर नस्ल की गाय
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में गाय की कई नस्लें पाई जाती हैं, और उनमें से एक है पुंगनूर गाय. यह नस्ल अपने छोटे कद और उत्कृष्ट दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है. पुंगनूर गायें विशेष रूप से आंध्र प्रदेश में पाई जाती हैं, और इनकी विशेषताएं इन्हें अन्य नस्लों से अलग करती हैं.
पुंगनूर गाय की विशेषताएं
पुंगनूर गायें सामान्यतः 90 से 120 सेंटीमीटर ऊंची होती हैं. इनका रंग सामान्यतः काला या भूरे रंग का होता है, और इनके शरीर की बनावट मजबूत होती है. पुंगनूर गाय का अधिकतम वजन 150 से 200 किलोग्राम तक हो सकता है. यह नस्ल दूध की गुणवत्ता में उच्च मानी जाती है, जिसका उपयोग विभिन्न डेयरी उत्पादों के निर्माण में किया जाता है.
पुंगनूर गायों का मूत्र और गोबर भी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है. मूत्र का उपयोग जैविक खाद और औषधियों में किया जाता है, जबकि गोबर का इस्तेमाल इको-फ्रेंडली ईंधन के रूप में किया जाता है. यह गायें न केवल दूध देती हैं, बल्कि इनके द्वारा उत्पादित इन सामग्रियों के जरिए भी किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
विलुप्ति का संकट
हालांकि, पुंगनूर गाय एक दुर्लभ प्रजाति है जो लगभग विलुप्त होने की कगार पर है. उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि यह नस्ल हमारे अगले पीढ़ी के लिए सुरक्षित रह सके. पारंपरिक प्रजनन तकनीकों को अपनाने और किसानों को उनके लाभों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है.
पुंगनूर गाय को लेकर कई भ्रांतियाँ भी फैली हुई हैं. कुछ लोग मानते हैं कि इनका दूध अन्य नस्लों की तुलना में कम होता है, जबकि वास्तव में यह दूध की गुणवत्ता में उच्च है.