Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में एक महिला ने गोबर से बदली 73 महिलाओं की जिंदगी!
इरादे नेक हों और लक्ष्य तय हो, तो सफलता का रास्ता आसान हो जाता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ की रहने वाली प्रीति टोप्पो ने. उन्होंने अपने आसपास की 73 महिलाओं को जोड़कर स्व सहायता समूह बनाया और गोबर से वर्मी कंपोस्ट का कारोबार शुरू किया.
रायपुर, 24 जुलाई : इरादे नेक हों और लक्ष्य तय हो, तो सफलता का रास्ता आसान हो जाता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ की रहने वाली प्रीति टोप्पो ने. उन्होंने अपने आसपास की 73 महिलाओं को जोड़कर स्व सहायता समूह बनाया और गोबर से वर्मी कंपोस्ट का कारोबार शुरू किया. इस समूह ने 93 लाख का कारोबार करने में सफलता पाई है. इस समूह की महिलाएं आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर भी हो रही हैं.
कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ की रहने वाली प्रीति टोप्पो का नाता एक गरीब परिवार से है. दो साल पहले भूपेश बघेल सरकार ने जब गोधन न्याय योजना की शुरूआत की तो उन्हें लगा जैसे ये योजना उन्हीं के लिए बनायी गयी है. प्रीति ने अपने ही जैसे अन्य महिलाओं के साथ एक महिला स्व सहायता समूह बनाया और गोबर संग्रहण के साथ ही वर्मी कंपोस्ट खाद के निर्माण में जुट गईं. दो वर्षों बाद समूह के माध्यम से 93 लाख रूपए का वर्मी कंपोस्ट खाद बेच चुकी हैं. अब वे आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हो चुकी हैं, उनके लिए किसी अन्य पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ती. प्रीति ने न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने साथ जुड़ी समूह की महिलाओं के लिए भी आर्थिक बदलाव लायी हैं.
मनेन्द्रगढ़ के शहरी गौठान में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण में संलग्न स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ, जो एक महिला स्वसहायता समूह है, इन दिनों चर्चाओं में है और इसकी वजह भी है कि किस तरह इस समूह ने वर्मी कंपोस्ट खाद बेचकर 93 लाख रूपए कमाए. यह समूह चर्चाओं में हो भी क्यों न, किसने सोचा था कि गोधन इतने काम का हो सकता है. धार्मिक कार्यों में गोबर का बेहद महत्व है वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने गोबर को आर्थिक बदलाव की धुरी बना दिया है.
गोधन न्याय योजना पूरे देश में अपने किस्म की अनूठी योजना है. शासन की गोधन न्याय योजना ने गोबर को एक कमोडिटी में तब्दील कर दिया है. इस राज्य में गोबर बेचा और खरीदा जा रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार गोबर की खरीदी कर रही है. इस गोबर से गौठानों में स्व सहायता समूहों के द्वारा वर्मी कंपोस्ट खाद बनाई जा रही है. इसी खाद के विक्रय से समूहों को जो लाभ हो रहा उससे उनके जीवन में बड़ा बदलाव आ रहा है. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र : भूजल स्रोतों की पहचान करने के लिए मानचित्रण योजना शुरू होगी
स्वच्छ मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र स्तरीय संघ की सदस्य प्रीति टोप्पो बताती हैं कि गोधन न्याय योजना शुरू हुई तो शहर के गौठान में समूह के रूप में जुड़कर वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का कार्य शुरू किया, तब घर-परिवार के लोग खुश नहीं थे, लेकिन जैसे-जैसे उत्पादन एवं विक्रय से लाभ मिला, लोगों का हमारे प्रति नजरिया बदलने लगा. इस योजना से हमें स्वरोजगार का जरिया मिला है समाज में हमारा मान-सम्मान बढ़ा है. प्रीति ने बताया उसे लाभांश से लगभग 50 हजार रुपये मिले हैं. उसने बहन की शादी में कुछ कर्ज लिया था, इस आय से वह इस कर्ज से मुक्त हो गई हैं और बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए साईकल लेकर दी है. घर के लोग पहले घर में टाइम न दे पाने के कारण थोड़ा नाराज थे पर अब आय देखकर खुश हैं.
बताया गया है कि इस समूह में 73 महिलाएं हैं. गौठान में वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन के काम से जुड़ी कोई महिला निर्धन परिवार से है तो किसी ने कभी घर से बाहर कदम नहीं रखा. इस काम से हुई कमाई ने उन्हें अपने परिवार का मजबूत स्तंभ बनाया है. उन्हें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया है. समूह द्वारा अब तक नौ लाख 30 हजार किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन कर बेचा गया है जिसके एवज में समूह को 93 लाख रूपए का भुगतान किया गया है. मनेंद्रगढ़ की इस महिला स्व सहायता समूह की ज्यादातर महिलाएं गरीब परिवारों से हैं. सुबह वे डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम करती हैं जिससे उन्हें प्रतिमाह छह हजार रूपए की आमदनी होती है. दोपहर में खाद निर्माण का काम करती हैं, इस कार्य में होने वाले लाभ में इन महिलाओं को लाभांश मिलता है.