Economic Survey 2020: वित्त मंत्री ने पेश किया 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने का रोडमैप, ऐसे हासिल होगा जादुई आंकड़ा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को संसद में इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया. वित्त वर्ष 2020 के आम बजट से एक दिन पहले पेश हुए इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) के अनुसार देश के विकास दर को गति देने के लिए राजकोषीय समेकन लक्ष्य को सरल बनाने की जरूरत है.

निर्मल सीतारमण I बजट 2020 (Photo Credits: File)

Budget 2020: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को संसद में इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया. वित्त वर्ष 2020 के आम बजट से एक दिन पहले पेश हुए इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) के अनुसार देश के विकास दर को गति देने के लिए राजकोषीय समेकन लक्ष्य को सरल बनाने की जरूरत है. इसके साथ ही इसमें उन तरीकों का भी जिक्र किया गया है, जिसके तहत भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था का लक्ष्‍य हासिल किया जाएगा.

अधिकारिक बयान के अनुसार सकल मूल्‍यवर्धन में योगदान के रूप में औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन वर्ष 2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में सुधरा है. हालांकि, राष्‍ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा अनुमानित सकल घरेलू उत्‍पाद के अनुसार वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में 8.2 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 की पहली छमाही (एच1) (अप्रैल-सितम्‍बर) में औद्योगिक क्षेत्र का सकल मूल्‍यवर्धन 1.6 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया. औद्योगिक क्षेत्र में कम वृद्धि की मुख्‍य वजह विनिर्माण क्षेत्र है, जिसमें वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में 0.2 प्रतिशत की नकारात्‍मक वृद्धि दर्ज की गई. Budget 2020: आयकर दरों से लेकर रेलवे-कृषि तक, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट में कर सकती हैं ये बड़े ऐलान

औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी)

औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक में वर्ष 2017-18 में 4.4 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2018-19 में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. मौजूदा वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवम्‍बर) के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5 फीसदी की तुलना में आईआईपी में महज 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. आईआईपी में वृद्धि में यह कमी मध्‍यम एवं छोटे उद्योगों को ऋण के सुस्‍त प्रवाह की वजह से विनिर्माण गतिविधियों में आई कमी, धन की कमी की वजह से एनबीएफसी द्वारा ऋण देने में कटौती, ऑटोमोटिव क्षेत्र, फार्मास्‍युटिकल्‍स और मशीनरी एवं इक्‍युपमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्रों में घरेलू मांग की कमी, अंतर्राष्‍ट्रीय कच्‍चे तेल की कीमतों में अनिश्चितता और मौजूदा व्‍यापार संबंधी अनिश्चितताओं की वजह से हुई. मौजूदा वित्‍त वर्ष के दौरान रत्‍न एवं आभूषण, मूल धातु, चर्म उत्‍पाद और कपड़े जैसे श्रम आधारित क्षेत्रों के निर्यात में कमी आई है. मौजूदा वित्‍त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवम्‍बर) के दौरान पूंजीगत सामान और टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान की वृद्धि में क्रमश: 11.6 और 6.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान के क्षेत्र में गिरावट घरेलू क्षेत्र खासकर ऑटोमोबाइल उद्योग की ओर से मांग में कमी की वजह से दर्ज की गई.

मौजूदा वित्‍त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-नवम्‍बर) में अवसंरचना/निर्माण सामग्री की वृद्धि में 2.7 प्रतिशत की कमी आई. नवम्‍बर, 2019 में मध्‍यवर्ती सामग्री और गैर-टिकाऊ उपभोक्‍ता सामग्री में सकारात्‍मक वृद्धि दर्ज की गई, जबकि प्राथमिक सामग्री, पूंजीगत सामग्री, अवसंरचना/निर्माण सामग्री और टिकाऊ उपभोक्‍ता सामग्री में नकारात्‍म्‍क वृद्धि दर्ज की गई.

औद्योगिक क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण

उद्योग में सकल पूंजी निर्माण ने निवेश में तेजी को दर्शाते हुए वर्ष 2016-17 के (-) 0.7 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2017-18 में 7.6 प्रतिशत वृद्धि की उछाल दर्ज की. खनन एवं उत्‍खनन, विनिर्माण, बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्‍य इस्‍तेमाल की सेवाएं एवं निर्माण क्षेत्र में वर्ष 2017-18 में क्रमश: 7.1 प्रतिशत, 8 प्रतिशत, 6.1 प्रतिशत और 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.

औद्योगिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह

औद्योगिक क्षेत्र को वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर सकल बैंक ऋण प्रवाह में सितम्‍बर 2018 में 2.3 प्रतिशत की तुलना में सितम्‍बर 2019 में 2.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई. काष्‍ठ एवं  काष्‍ठ उत्‍पाद, सभी अभियांत्रिकी, सीमेंट एवं सीमेंट उत्‍पाद, निर्माण एवं अवसंरचना जैसे उद्योगों को सितम्‍बर, 2018 की तुलना में सितम्‍बर 2019 में ऋण प्रवाह में बढ़ोतरी हुई. खाद्य प्रसंस्‍करण, रसायन एवं रसायन उत्‍पाद, वाहन, वाहनों के कलपुर्जे और परिवहन उपकरण जैसे उद्योगों को सितम्‍बर 2018 की तुलना में सितम्‍बर 2019 में ऋण प्रवाह में कमी दर्ज की गई.

कॉरपोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन

विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2019-20 के प्रथम तिमाही में उत्‍पादन कम होने की वजह से गिरावट रही. इस गिरावट में प्रमुख रूप से पेट्रोलियम उत्‍पाद, लौह एवं इस्‍पात, मोटर वाहन और अन्‍य परिवहन उपकरण कंपनियां जिम्‍मेदार हैं.

कॉरपोरेट क्षेत्र में वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में तेजी आई और 17.4 प्रतिशत का शुद्ध हुआ. वर्ष 2016-17 की दूसरी छमाही से विस्‍तार क्षेत्र में रहीं 1700 से अधिक सूचीबद्ध निजी विनिर्माण कंपनियों की ब्रिकी में वृद्धि वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में घटकर 7.7 प्रतिशत रह गई. भारत के विनिर्माण क्षेत्र की उपयोग क्षमता वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में 73.8 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 73.6 प्रतिशत पर स्‍थायी बनी रही.

सीपीएसई का प्रदर्शन

31 मार्च 2019 को 348 केन्‍द्रीय सार्वजनिक उद्यम क्षेत्र में से 249 उद्यम चालू है, 86 उद्यम में वाणिज्यिक संचालन शुरू होना बाकी है और 13 उद्यम बंद होने के कगार पर है. 249 चल रही सीपीएसई में से 178 सीपीएसई ने 2018-19 के दौरान लाभ दर्ज किया, 70 सीपीएसई ने पूरे साल के दौरान नुकसान दर्ज किया और एक सीपीएसई को न घाटा न लाभ हुआ. वर्ष2018-19 में लाभ में रही 178 सीपीएसई का कुल लाभ 1.75 लाख करोड़ रुपए हुआ और पूरे साल घाटे में चली 70 सीपीएसई को 31,635 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

सीपीएसई का केन्‍द्रीय खजाने में योगदान पिछले साल के 3.52 लाख करोड़ रुपये की तुलना में वर्ष 2018-19 में 4.67 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.69 लाख करोड़ रुपये रहा.

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