Budget 2019: जानें बजट से जुड़े उन सवालों के जवाब, जो आज तक नहीं थे आपको पता

वर्ष 2019-20 का संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने वाला है. अंतरिम बजट पहली फरवरी को पेश किया जाएगा. यह सत्र 13 फरवरी तक चलेगा. यह मोदी सरकार का छठा और आखिरी बजट होगा.

Budget 2019: जानें बजट से जुड़े उन सवालों के जवाब, जो आज तक नहीं थे आपको पता
रुपया (Photo Credit: IANS)

Budget 2019: वर्ष 2019-20 का संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने वाला है. यह सत्र दोनों सदनों की संयुक्‍त बैठक में राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से शुरू होगा. जबकि अंतरिम बजट पहली फरवरी को पेश किया जाएगा. यह मोदी सरकार का छठा और आखिरी बजट होगा. यह सत्र 13 फरवरी तक चलेगा. वहीं अंतरिम बजट से पहले बैठको का दौर जारी है. हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली इलाज के लिए अमेरिका में हैं, इसलिए वित्‍त मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार पीयूष गोयल को दिया गया है.

लोकसभा चुनाव होने के कारण इस बार का बजट अंतरिम बजट होगा. इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि अबकी बार का बजट मिडिल क्लास और किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आने वाली हैं. इससे पहले आईये जानते है बजट से जुड़ी कई रोचक बाते जो हर कॉमन मैन के लिए समझना मुश्किल है-

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1- कब और कैसे पेश होता है बजट?

बजट केंद्र सरकार की सालभर की आय और व्यय की लिस्ट है. जो देश पर आगामी वित्त वर्ष में खर्च किए जाते है. यह देश का इकोनॉमिक प्लान होता है. ‘बजट’ लैटिन शब्‍द ‘बोजते’ से बना है. बोजते का मतलब होता है ‘चमड़े का थैला.’ काफी सालों पहले पश्चिमी देशों में व्यापारी पैसे चमड़े के थैलों में लाते थे. अभी भी वित्त मंत्री चमड़े की बैग में ही बजट के सभी दस्तावेज़ संसद में लाते है. बजट फरवरी के पहले सप्ताह में पेश होता है. जबकि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वितीय वर्ष से लागू होता है.

2- कौन बनाता है बजट?

हर साल सितंबर से ही बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. सभी विभागों, मंत्रालयों को एक सर्कुलर भेजा जाता है. इस सर्कुलर में उन विभागों से अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्यौरा और फंड की आवश्यता की जानकारी मांगी जाती है. इससे बजट की आगे की राह तय होती है. बजट में पिछड़े इलाकों पर फोकस किया जाता है. वहां नई परियोजना में होने वाले खर्च को मद्देनज़र रखते हुए बजट बनाया जाता है. इस दौरान योजनाओं में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक झुकाव और उसके सहयोगी दलों की इच्छाओं के हिसाब से सुधार किया जाता है.

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बजट निर्माण की प्रक्रिया को बहुत गोपनीय रखा जाता है. संसद में पेश होने तक इसमे लिए गए फैसले की जानकारी कुछ चुनिंदा लोगों के अलावा किसी को भी नहीं होती. इसकी किसी को भनक भी न लगे इसके लिए वित्त मंत्रालय के नार्थ ब्लाक स्थित दफ्तर को बजट पेश होने तक कड़ी सुरक्षा घेरे में रखा जाता है. वहीं कुछ दिनों पहले पूरे एरिया को सील कर दिया जाता है.

3- क्यों बनता है बजट?

केंद्र सरकार की ओर से आगामी वित्त वर्ष में किए जाने वाले खर्चे और होने वाली आय का जो प्लान होता है उसे ‘बजट’ कहा जाता है. किसी भी सरकार का बजट बनाने का सबसे बड़ा मकसद देश की तरक्की करना होता है. हर साल इसके लिए सरकार योजनाबद्द तरीके से फैसले लेती है. सरकार अपने आय के स्त्रोत जैसे कि इनकम टैक्स, राजस्व से कमाई, फीस-जुर्माना, लाभांश और ब्याज आदि से कमाई गई रकम को वापस जनता के हित में खर्च करने के लिए बजट तैयार करती है.

4- करदाताओं के लिए क्यों है महत्वपूर्ण? 

ऐसा माना जाता है कि वित्त मंत्री और उनकी टीम को इनकम टैक्स स्लैब तय करने में सबसे ज़्यादा माथापच्ची करनी पड़ती है. क्योकि आम जनता की सबसे ज्यादा नज़र इसी पर टिकी होती है. इसलिए वित्त मंत्रालय पर दबाव बढ़ जाता है. इसमें कई बार वित्त मंत्री सीधे तौर पर टैक्स स्लैब को घटाकर तो कभी टैक्स रियायतों के जरिए मिडल क्लास को खुश करने की कोशिश करते है. यह भी पढ़े- मिडल क्लास को मिल सकती है बड़ी सौगात, 5 लाख रुपये तक की कमाई पर नहीं देना पड़ेगा इनकम टैक्स

5- क्यों होती है हलवा सेरेमनी?

हलवा समारोह बजट से जुड़ी वित्त मंत्रालय की सालों पुरानी परंपरा है, जिसमें हलवा समारोह से बजट के दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है. बजट की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए छपाई से जुड़े सभी कर्मचारियों को पुलिस व सुरक्षा एजेंसियो के कड़े पहरे में दिन-रात रखा जाता है.

6- क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?    

बजट से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री संसद में आर्थिक सर्वे (इकनॉमिक सर्वे) पेश करते है. उसके बाद ही बजट पेश किया जाता है. ये अर्थव्यवस्था की आधिकारिक रिपोर्ट होती है. इसमें देश की अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीति चुनौतियों की विस्तृत जानकारी होती है. इसमें जरूरी क्षेत्रवार रूपरेखा और सुधार के उपायों की विवेचना होती है. ये सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है. इसके साथ ही इस सर्वेक्षण में आर्थिक विकास का अनुमान लगाया जाता है. हालांकि वित्त मंत्रालय इस सर्वे की सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं होता है.


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