बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय नागरिकों को किसी भी पाकिस्तानी कलाकार को काम पर रखने या उसके प्रदर्शन की मांग करने या उसके साथ किसी भी तरह के जुड़ाव पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी.
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है क्योंकि इसमें सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतिगामी कदम उठाने की मांग की गई है. VIDEO: हैदराबाद में इजराइल और अमेरिकी झंडे को पैरों तले कुचला, महिलाओं ने फिलिस्तीन के समर्थन में किया प्रदर्शन
अदालत ने हाल ही में भारत में चल रहे क्रिकेट विश्व कप टूर्नामेंट में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की भागीदारी का भी जिक्र किया. न्यायाधीश ने कहा 'यहां यह जोड़ा जा सकता है कि भारत में आयोजित होने वाले विश्व क्रिकेट कप में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भाग ले रही है और यह केवल भारत सरकार द्वारा समग्र शांति और सद्भाव के हित में उठाए गए सराहनीय सकारात्मक कदमों के कारण हुआ है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 के साथ जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के बारे में है.'
याचिकाकर्ता, फ़ैज़ अनवर क़ुरैशी, एक स्वयंभू सिने कार्यकर्ता, ने ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्ल्यूए) द्वारा प्रतिबंध का हवाला दिया, जिसने भारतीय फिल्म उद्योग में पाकिस्तानी कलाकारों को शामिल करने के खिलाफ फैसला किया था.
एआईसीडब्ल्यूए का प्रस्ताव कथित तौर पर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था. इसी तरह की अपीलें कई अन्य संगठनों ने भी अपने-अपने सोशल मीडिया हैंडल पर प्रकाशित की थीं. क़ुरैशी ने दावा किया कि उनके द्वारा मांगी गई राहत नहीं देने से उन भारतीय कलाकारों के साथ भेदभाव होगा जिन्हें पाकिस्तान में अनुकूल माहौल नहीं मिलता है.
Bombay High Court junks plea to ban Pakistani artists; lauds GoI for Cricket World Cup with Pakistan participation
report by @Neha_Jozie https://t.co/wTomC3fkfO
— Bar & Bench (@barandbench) October 19, 2023
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी कलाकार भारत में व्यावसायिक अवसरों का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे, जो भारतीय नागरिकों को ऐसे अवसरों से वंचित या कम करके उनके प्रति पूर्वाग्रह पैदा कर सकता है.
कोर्ट ने शुरुआत में टिप्पणी की कि क़ुरैशी का देशभक्ति का विचार ग़लत है. अदालत ने कहा "किसी को यह समझना चाहिए कि देशभक्त होने के लिए, किसी को विदेश से, खासकर पड़ोसी देश से आए लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण होने की आवश्यकता नहीं है. कला, संगीत, खेल, संस्कृति, नृत्य आदि ऐसी गतिविधियाँ हैं जो राष्ट्रीयताओं, संस्कृतियों से ऊपर उठती हैं. राष्ट्रों में और राष्ट्रों के बीच वास्तव में शांति, शांति, एकता और सद्भाव लाएं,''
खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध लगाने से भारतीय नागरिकों के व्यवसाय और व्यापार करने के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन होगा.
न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि वह सरकार को कानून बनाने या कार्यपालिका को कार्य करने का निर्देश नहीं दे सकता, विशेष रूप से यदि यह संवैधानिक ढांचे के विपरीत है. इस प्रकार, याचिका खारिज कर दी गई.