नागपुर: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने गुरुवार को विवेक पलाटकर नाम के एक शख्स को मौत की सजा सुनाई. इस शख्स को अपने बेटे, बहन और परिवार के तीन अन्य सदस्यों की हत्या का दोषी ठहराया गया था. पलाटकर ने अपने बेटे कृष्णा, अपनी बहन अर्चना पवनकर (45), उनके पति कमलाकर (48), उनकी सास मीराबाई (73) और उनकी बेटी वेदांती (12) की हत्या की थी. सेशन कोर्ट ने 29 गवाहों की गवाही दर्ज करने के बाद उसे मौत की सजा सुनाई थी. आरोपी पर अन्य अपराध भी दर्ज हैं. वोटर्स को पता है कौन गुमराह कर रहा है, उन्हें कम मत समझिये... जानें दिल्ली हाई कोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी.
अभियोजन पक्ष की ओर से मामले की पैरवी करने वाले अतिरिक्त सरकारी वकील संजय डोइफाइड ने अदालत का ध्यान गवाहों के बयानों की ओर आकर्षित किया, जिसमें आरोपी की बेटी और बहन की बेटी भी शामिल थी, जो खूनी हमले में किसी तरह बच गईं. दोषी की बहन अर्चना पवनकर अपने परिवार के साथ दिघोरी के आराधना नगर में रहती थी. उनके पति, कमलाकर, एक प्रॉपर्टी डीलर थे, जो घर से ही "वैष्णवी इलेक्ट्रिकल्स" के नाम से अपना बिजनेस चलाते थे. इससे पहले, जब पलाटकर को अपनी पत्नी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, तो कमलाकर ने उसकी जमानत के लिए 5 लाख रुपये खर्च किए थे और बाद में वह यह रकम विवेक पलाटकर से वापस मांग रहे थे.
विवाद तब पैदा हुआ जब नवरगांव में संसाधन और 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि होने के बावजूद, पलाटकर ने पैसे वापस करने से इनकार कर दिया. इसके बाद पलाटकर ने अपनी कमलाकर और उनके परिवार को मारने की योजना तैयार की. 11 जून 2018 को पलाटकर ने कमलाकर के परिवार के सदस्यों के साथ दोपहर का भोजन किया और फिर सब सो गए. इसके बाद पलाटकर ने उनकी खोपड़ी को लोहे की रॉड से कुचलकर मार डाला. इसके बाद वह लोहे के गेट पर चढ़ गया और भाग गया.