
लोअर परेल की एक हाउसिंग सोसायटी में जानवरों के अधिकारों का बड़ा मुद्दा उठा है. 51 वर्षीय व्यवसायी आशीष गोयल अपने दृष्टिहीन पालतू कुत्ते 'ऑज़ी' को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच गए हैं. उनकी शिकायत है कि उनकी आवासीय सोसायटी 'मैराथन एरा' की मैनेजिंग कमेटी ने ऑज़ी को तीन मेंबर्स-ओनली लिफ्टों में ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो कि पशु अधिकारों का खुला उल्लंघन है. गोयल ने अपने वकील सिद्ध विद्या के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है.
क्या है मामला?
गोयल, लोअर परेल स्थित गणपत राव कदम मार्ग पर बने मैराथन एरा कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के 'एरा-2' टावर में 22वीं मंज़िल पर रहते हैं. चार टावरों वाली इस सोसायटी में कुल 229 फ्लैट हैं, और छह लिफ्टें मौजूद हैं. इनमें से लिफ्ट नंबर 1, 2 और 3 केवल सदस्यों, उनके किरायेदारों और मेहमानों के लिए आरक्षित हैं. जबकि 4, 5 और 6 नंबर लिफ्टें घरेलू सहायकों और स्टाफ के लिए निर्धारित की गई हैं.
ऑज़ी की कहानी: एक संघर्ष से भरा जीवन
ऑज़ी एक दिव्यांग (दृष्टिहीन) कुत्ता है, जिसका जन्म दीपावली के दिन चार साल पहले हुआ था. जन्म से अंधा होने के कारण वह अपनी मां से दूध भी नहीं पी सका और एक बार तो वह पास के तालाब में गिर गया. एक भले व्यक्ति ने उसे बचाया. जब गोयल को ऑज़ी की स्थिति के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत उसे गोद ले लिया.
लिफ्ट में रोक और विरोध का सामना
14 जनवरी 2024 को एक सोसायटी सदस्य ने गोयल को रोकते हुए कहा कि वे ऑज़ी को मेंबर्स-ओनली लिफ्ट में नहीं ले जा सकते क्योंकि यह सोसायटी के नियमों का उल्लंघन है. गोयल ने इस घटना के बाद उस सदस्य के खिलाफ गैर-संज्ञेय अपराध की शिकायत दर्ज करवाई.
गोयल का कहना है कि उसी रात उक्त सदस्य ने 260 सदस्यों वाले व्हाट्सऐप ग्रुप में झूठा प्रचार किया कि पालतू जानवरों को कुछ लिफ्टों में ले जाने की मनाही है. इसके अलावा, आरोप लगाए गए कि गोयल ने सोसायटी के नियम तोड़ने के बाद पुलिस की शरण ली, जिससे समाज के अन्य सदस्य भी उनके खिलाफ हो गए.
नियमों में बदलाव और कानूनी सवाल
24 फरवरी को गोयल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि पालतू जानवरों के खिलाफ सोसायटी में शत्रुतापूर्ण माहौल बनाया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि सोसायटी ने जो 'पालतू नीति' 25 फरवरी को लागू की, वह 14 जनवरी की घटना के बाद बनाई गई, यानी इसे जानबूझकर बनाया गया ताकि उन्हें दोषी ठहराया जा सके.
गोयल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि सोसायटी द्वारा जारी की गई ये नई पॉलिसी और दंड, भारत सरकार के अधीन पशु कल्याण बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के खिलाफ हैं. साथ ही, यह महाराष्ट्र कोऑपरेटिव सोसायटीज़ अधिनियम का भी उल्लंघन करती है.
अब न्यायपालिका से उम्मीद
यह मामला सिर्फ एक पालतू जानवर की लिफ्ट में एंट्री तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश में जानवरों के अधिकारों और सोसायटी प्रबंधन की शक्तियों की सीमाओं को लेकर एक मिसाल बन सकता है. हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद ही तय होगा कि क्या ऑज़ी को अपने मालिक के साथ उसी सम्मान से जीने का हक़ मिलेगा जैसा किसी अन्य सदस्य को होता है.