2017-18 में बीजेपी को मिला 1000 करोड़ का चंदा, कांग्रेस और एनसीपी ने अभी तक चुनाव आयोग के सामने फाइल नहीं किया रिटर्न

सत्ताधारी बीजेपी को वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का राजनीतिक चंदा मिला है. यह आकंड़े चुनाव आयोग को पार्टी द्वारा सौंपे गए वार्षिक रिटर्न में सामने आए हैं. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जहां भारतीय जनता पार्टी सबसे अमीर पार्टी के तौर पर उभरी है

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: Facebook)

नई दिल्ली: कुछ ही महीने बाद 2019 में देश में लोकसभा चुनाव होने वाला है. इस चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के लिए एक अच्छी खबर है. सत्ताधारी बीजेपी को वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का राजनीतिक चंदा मिला है. यह आकंड़े चुनाव आयोग को पार्टी द्वारा सौंपे गए वार्षिक रिटर्न में सामने आए हैं. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जहां भारतीय जनता पार्टी सबसे अमीर पार्टी के तौर पर उभरी है, वहीं देश की 4 अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी मार्च 2018 तक आर्थिक लाभ मिला है.

वहीं दूसरी अन्य पार्टियों की बात करें तो 2016-17 के दौरान जहां बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) की मुखिया मायावती (Mayawati) के नेतृत्व वाली पार्टी का कोष में 681 रूपया था तो यह राषि 2018 में बढ़कर 717 करोड़ रुपये हो गया है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का कोष में पिछले वर्ष 262 करोड़ रूपया था वह अब बढ़कर 291 करोड़ रुपये हो चुका है. भारत की दो कम्युनिस्ट पार्टियां जो बेशक देश की राजनीति में हाशिये पर है उनके कोष में भी इजाफा हुआ है. 2017-18 के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) के कोष में 104 करोड़ रुपये है. यह भारतीय जनता पार्टी की वार्षिक आय का दस प्रतिशत है. इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के कोष में जो राषि थी वह अब बढ़कर 1.5 करोड़ रुपये हुए हैं. यह भी पढ़े: क्षेत्रीय दलों को 2016-17 में मिला 91.37 करोड़ रुपये का चंदा, टॉप पर शिवसेना

देश की ये प्रमुख पार्टियों ने चुनाव आयोग के सामने वार्षिक रिटर्न जमा कर दी है. वहीं कांग्रेस (Congress) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ( Nationalist Congress Party) ये दोनों पार्टियों ने अभी तक चुनाव आयोग के पास अपनी वार्षिक रिटर्न जमा नहीं करवाई है. जबकि चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक सभी मान्यता प्राप्त, पंजीकृत पार्टियों के लिए हर साल चुनाव आयोग ( Election Commission) के सामने अपना वित्तीय वर्ष का लेखा जोखा देना होता है. जो अभी तक इन दोनों पार्टियों ने अपना लेखा जोखा यानी चुनाव आयोग के सामने अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है.

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