Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो मामले पर दोषियों की सजा माफी को चुनौती ने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई सजा की सजा के खिलाफ दायर विभिन्न जनहित याचिकाओं की विचारणीयता के सवाल पर बुधवार को सुनवाई करेगा.
नई दिल्ली, 8 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई सजा की सजा के खिलाफ दायर विभिन्न जनहित याचिकाओं की विचारणीयता के सवाल पर बुधवार को सुनवाई करेगा. घटना 002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान हुई थी. यह भी पढ़ें: Breach of Privilege Case: विशेषाधिकार हनन मामले में कांग्रेस सदस्य रजनी पाटिल की राज्यसभा सदस्यता बहाल
केंद्र, गुजरात सरकार और दोषियों ने सीपीआई-एम नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन, अस्मा शफीक शेख और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का विरोध करते हुए कहा है कि एक बार पीड़िता खुद अदालत का दरवाजा खटखटाया है, तो दूसरों को आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को आदेश दिया, "अन्य रिट याचिकाएं जनहित याचिकाओं की प्रकृति की हैं। जनहित याचिकाओं की विचारणीयता के संबंध में एक प्रारंभिक आपत्ति उठाई गई है। प्रारंभिक आपत्ति पर सुनवाई के लिए कल दोपहर 3 बजे सूचीबद्ध करें."
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 7 अगस्त से अंतिम सुनवाई शुरू की, जिसमें बिलकिस बानो द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल थी. बिलकिस बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने तर्क दिया था कि मामले में दोषी ट्रायल जज द्वारा दी गई प्रतिकूल राय के मद्देनजर छूट के हकदार नहीं हैं, जिन्होंने उन्हें दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी.
जिन दोषियों को नोटिस नहीं दिया जा सका था, उस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को दोषियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था. इसने गुजराती और अंग्रेजी सहित स्थानीय समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था. 2 मई को केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वे बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफ करने के संबंध में दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा नहीं करेंगे, और शीर्ष अदालत के अवलोकन के लिए दस्तावेजों को उसके साथ साझा करने पर सहमत हुए थे.
मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था, क्योंकि गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी. तर्क यह था कि दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए.