Bihar Election 2024: बेलागंज विधानसभा में राजद को एनडीए से म‍िल रही कड़ी चुनौती

बिहार में चार विधानसभा सीटों पर हो रहे उप चुनाव में बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन को सबसे बड़ी चुनौती मिल रही है. वैसे तो बेलागंज विधानसभा को राजद का गढ़ माना जाता है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में एनडीए यहां यादव वोटों में सेंधमारी कर राजद के इस गढ़ को ढहाने की तैयारी में है.

NDA to RJD (img: tw)

गया, 25 अक्टूबर : बिहार में चार विधानसभा सीटों पर हो रहे उप चुनाव में बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन को सबसे बड़ी चुनौती मिल रही है. वैसे तो बेलागंज विधानसभा को राजद का गढ़ माना जाता है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में एनडीए यहां यादव वोटों में सेंधमारी कर राजद के इस गढ़ को ढहाने की तैयारी में है.

बिहार में विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं और सबकी नजरें बेलागंज विधानसभा सीट पर टिकी हैं. बेलागंज के विधायक सुरेंद्र यादव के सांसद बन जाने के बाद यह सीट खाली हुई थी. राजद ने इस चुनाव में सांसद बने सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ यादव को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. इनके मुकाबले जदयू ने विधान परिषद की सदस्य रहीं मनोरमा देवी को चुनावी रण में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. यह भी पढ़ें : Karnataka Night Panel Chart: कर्नाटक नाइट पैनल चार्ट क्या है? सट्टा मटका में इससे फायदा होता है या नुकसान?

मनोरमा देवी बाहुबली नेता स्वर्गीय बिंदी यादव की पत्नी हैं. यादव बहुल माने जाने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में राजद को इस चुनाव में कड़ा मुकाबला मिल रहा है. मनोरमा देवी 2003 से 2009 तक राजद से एमएलसी रहीं, जबकि 2015 से 2021 तक जदयू से विधान पार्षद रहीं. ऐसे में माना जा रहा है कि उनका राजद के कार्यकर्ताओं पर भी प्रभाव है.

इधर, प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने भी मुस्लिम समाज से आने वाले मोहम्मद अमजद को चुनावी मैदान में उतार कर राजद की परेशानी बढ़ा दी है. एक अनुमान के मुताबिक यहां यादव मतदाताओं के बाद मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. राजद का वोट बैंक यादव और मुस्लिम समाज माना जाता है. ऐसे में कहा जा रहा है कि मुस्लिम प्रत्याशी मोहम्मद अमजद ने मुस्लिम समाज के वोटरों को अपने पक्ष में कर लिया, तो राजद की परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में बेलागंज के गढ़ को सुरक्षित रखना राजद के लिए मुख्य चुनौती है. राजद को इस उप चुनाव में न केवल यादव और मुस्लिम मतदाताओं को जोड़कर रखना होगा, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं को भी साथ रखना बड़ी चुनौती है.

उधर, एनडीए की ओर से चुनावी मैदान में उतरीं जदयू की मनोरमा देवी की नजर भी राजद के वोट बैंक पर टिकी है. वे भी यादव वोट में सेंधमारी करने की कोशिश में हैं. ऐसे में बेलागंज का मुकाबला न केवल दिलचस्प बना हुआ है, बल्कि दोनों गठबंधनों के लिए कई चुनौती भी है. इस सीट पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे.

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