नई दिल्ली:- केंद्र द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों (Farm Laws)के खिलाफ अभी भी किसान और सरकार (Kisan Andolan) आमने सामने हैं. केंद्र सरकार से कई बार बातचीत के बाद मसले का हल नहीं निकला है. जिससे साफ हो गया है कि किसान अपनी मांग को पीछे हटने के मूड में नहीं है. केंद्र से बात नहीं बनी तो किसानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि नए कानून उन्हें कॉर्पोरेट लालच (Corporate Greed) का शिकार बना देंगे. सरकार से बात न बनते देख किसानों ने आंदोलन को और भी तेज करने का फैसला लिया है. इसके साथ ही उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा दी है.
बता दें कि किसान तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. उन्होंने सरकार की ओर से दोबारा बातचीत शुरू करने की पेशकश ठुकरा दी है. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार अगर कोई नया सकारात्मक प्रस्ताव लाए तो फिर बातचीत होगी. यहां सकारात्मक प्रस्ताव से उनका मतलब तीनों कानून को वापस लेने से है. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा, मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए. सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है. Farmers Protest: किसानों के खिलाफ FIR दर्ज होने को लेकर कांग्रेस आक्रामक, सुरजेवाला ने कहा-इन धाराओं के तहत पीएम मोदी, शाह-खट्टर और दुष्यंत के खिलाफ बनता है मामला.
ANI का ट्वीट:-
Bhartiya Kisan Union approaches the Supreme Court against the three #FarmLaws passed by the Parliament, claiming the laws will make farmers “vulnerable to corporate greed.” pic.twitter.com/esoIjC3vfB
— ANI (@ANI) December 11, 2020
गौरतलब हो कि मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों के भारी विरोध के बीच अब भारतीय जनता पार्टी ने बड़े पैमाने पर जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी की है. देश में सात सौ से अधिक स्थानों पर प्रेस कांफ्रेंस और किसान चौपाल के जरिए किसानों के लिए बने कानूनों पर फैलाई गई भ्रांतियों को तथ्यों के जरिए पार्टी नेता दूर करेंगे.