Basmati Rice Battle: भारत-पाकिस्तान में अब बासमती चावल को लेकर मचा घमासान, यूरोपीय संघ में विशेष ट्रेडमार्क के लिए चल रहा संघर्ष

भारत और इसके चिर-प्रतिद्वंद्वी देश पाकिस्तान के बीच खेल, राजनीति और कूटनीति समेत लगभग हर मोर्चे पर द्वंद्व कोई नई बात नहीं है. लेकिन, अब दोनों के बीच जिस विषय पर रस्साकशी तेज हुई है वह है बासमती चावल. वैसे तो पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल के लिए जीआई (जिओग्राफिकल इंडिकेटर) टैग हासिल कर लिया है जो बासमती चावल के उत्पत्ति-स्थल को लेकर यूरोपीय संघ (ईयू) में इसकी दावेदारी को मजबूत बना सकता है, मगर भारत ने भी ईयू में इस बात के लिए आवेदन दाखिल कर दिया है कि भारत को बासमती का उत्पत्ति-स्थल घोषित किया जाए.

बासमती चावल पर भारत-पाक में मचा घमासान (Photo Credits: Wikimedia Commons/PTI)

भारत और इसके चिर-प्रतिद्वंद्वी देश पाकिस्तान के बीच खेल, राजनीति और कूटनीति समेत लगभग हर मोर्चे पर द्वंद्व कोई नई बात नहीं है. लेकिन, अब दोनों के बीच जिस विषय पर रस्साकशी तेज हुई है वह है बासमती चावल. वैसे तो पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल के लिए जीआई (जिओग्राफिकल इंडिकेटर) टैग हासिल कर लिया है जो बासमती चावल के उत्पत्ति-स्थल को लेकर यूरोपीय संघ (ईयू) में इसकी दावेदारी को मजबूत बना सकता है, मगर भारत ने भी ईयू में इस बात के लिए आवेदन दाखिल कर दिया है कि भारत को बासमती का उत्पत्ति-स्थल घोषित किया जाए. इंदौर में बासमती चावल में खरीदी बढ़िया

मिली जानकारी के अनुसार भारत ने एक विशेष ट्रेडमार्क के लिए आवेदन किया है जो उसे यूरोपीय संघ में बासमती शीर्षक का एकमात्र स्वामित्व प्रदान करेगा, जिससे पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लग सकता है. पाकिस्तान ने यूरोपीय आयोग से संरक्षित भौगोलिक संकेत (पीजीआई) हासिल करने के भारत के कदम का तत्काल विरोध किया है.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. भारत हर साल 6.8 बिलियन डॉलर का चावल विदेश भेजता है, जबकि पाकिस्तान 2.2 बिलियन डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है. दोनों देश बासमती के एकमात्र वैश्विक निर्यातक हैं.

पाकिस्तान 27-सदस्यीय यूरोपीय संघ में बासमती चावल को अपने उत्पाद के रूप में पंजीकृत करने के भारत के कदम के खिलाफ मामला लड़ रहा है. कानून के तहत जरूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में किसी भी उत्पाद के पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले इसे उस देश के भौगोलिक संकेत (जीआई) कानूनों के तहत उसे संरक्षित किया जाए.

पीजीआई का दर्जा ऐसे भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पादों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान करता है जहां उत्पादन, प्रसंस्करण या तैयारी का कम से कम एक चरण हुआ है. जबकि जीआई टैग उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेतक है, जिसकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति केन्द्र है और इस क्षेत्र के विशेष गुण और खासियत से युक्त है.

पिछले साल सितंबर में भारत ने बासमती चावल के एकमात्र स्वामित्व का दावा करते हुए यूरोपीय संघ को आवेदन दिया था. आवेदन प्रस्तुत करने के बाद बासमती चावल को पाकिस्तान के उत्पाद के रूप में संरक्षित करने का मुद्दा सामने आया था. अपने आवेदन में, भारत ने दावा किया कि विशेष रूप से इस लंबे सुगंधित 'बासमती' चावल को इस उप-महाद्वीप के एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में उगाया जाता है.

बासमती चावल के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी पर प्रकाश डालने के बाद, भारत ने यह भी दावा किया कि यह उत्पादन वाला क्षेत्र उत्तर भारत का एक हिस्सा है, जो हिमालय की तलहटी से नीचे गंगा के मैदानी भाग का हिस्सा है.

यूरोपीय संघ के समक्ष किये गये इस भारतीय दावे को दिसंबर में चुनौती दी गई थी और पाकिस्तान का मुख्य तर्क यह था कि बासमती चावल भारत और पाकिस्तान का संयुक्त उत्पाद है. पाकिस्तान दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सालाना पांच से सात लाख टन बासमती चावल का निर्यात करता है, जिसमें से दो लाख टन से ढाई लाख टन का निर्यात यूरोपीय संघ के देशों को किया जाता है. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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