Bakrid 2020: बकरीद का पर्व 1 अगस्त को मनाया जाएगा, अपने बकरों को बेचने के लिए यूपी से दिल्ली पहुंचे लोग

आगामी 1 अगस्त को मनाए जाने वाले ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मद्देनजर लोग अपने बकरों को बेचने के लिए उत्तर प्रदेश के बदायूं से दिल्ली पहुंचे हैं. बकरे बेचने वाले चमन अली नाम के शख्स ने बताया कि वो हर साल कम से कम 200 बकरे लेकर आते थे, लेकिन कोरोना संकट के चलते सिर्फ 60 बकरे लेकर आए हैं. शख्स का कहना है कि उनके पास 12,000-35,000 रुपए तक की कीमत वाले बकरे हैं.

बकरीद के लिए बकरियों की बिक्री (Photo Credits: ANI)

Bakrid 2020: रमजान ईद (Ramzan Eid) की तरह बकरीद (Bakrid) का त्योहार भी इस्लाम धर्म के लिए बेहद खास माना जाता है. इस साल 1 अगस्त 2020 को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. बकरीद को बकरा ईद (Bakra Eid), ईद-उल-अजहा (Eid-al-Adha) भी कहा जाता है. वैसे तो हर साल बकरीद मनाने की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती है और बकरों से बाजार सज जाते हैं. इस दिन बकरों (Goats) की बलि दी जाती है, इसलिए इसे कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है. इस साल कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. लेकिन इस साल अन्य त्योहारों की तरह इस पर्व की रौनक भी कुछ फीकी पड़ सकती है. हालांकि इस दिन बकरों की बलि देने की परंपरा निभाई जाती है, इसलिए बकरों की बिक्री शुरु हो चुकी है.

कई जगहों पर बकरीद के लिए बकरों की ऑनलाइन खरीद-बिक्री की जा रही है तो वहीं राजधानी दिल्ली में बकरों को बेचने के लिए लोग उत्तर प्रदेश से दिल्ली पहुंचे हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आगामी 1 अगस्त को मनाए जाने वाले ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मद्देनजर लोग अपने बकरों को बेचने के लिए उत्तर प्रदेश के बदायूं से दिल्ली पहुंचे हैं. बकरे बेचने वाले चमन अली नाम के शख्स ने बताया कि वो हर साल कम से कम 200 बकरे लेकर आते थे, लेकिन कोरोना संकट के चलते सिर्फ 60 बकरे लेकर आए हैं. शख्स का कहना है कि उनके पास 12,000-35,000 रुपए तक की कीमत वाले बकरे हैं. यह भी पढ़ें: Bakrid 2020: बकरीद कब है? किसकी याद में मनाया जाता है ईद-उल-अजहा, जानें तिथि और इस पर्व का महत्व

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गौरतलब है कि रमजान का महीना खत्म होने के करीब 70 दिन बाद बकरीद को कुर्बानी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस्लाम धर्म में इस दिन अल्लाह के नाम पर कुर्बानी देने की परंपरा निभाई जाती है. मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन बकरों की कुर्बानी देकर हजरत इब्राहिम की दी हुई कुर्बानी को याद करते हैं. बकरों की कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. पहला हिस्सा परिवार वालों, दूसरा हिस्सा दोस्तों- रिश्तेदारों और तीसरा हिस्सा समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिया जाता है

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