अयोध्या: पांच सौ साल की लंबी प्रतीक्षा के पश्चात श्री रामलला अपने मूल स्थान पर विराजने के लिए तैयार हैं. पांच अक्षरों वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर का शिलान्यास आज 5 अगस्त 2020 को 12 बजकर 15.15 सेकेंड से 12 बजकर 15 मिनट 47 सेकेंड तक के मुहूर्त-पूजा के दरम्यान में पांच चांदी की ईंटे रखकर भगवान श्रीराम की पूजा करेंगे और इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो जायेगा. मंदिर के इस मुहूर्त को लेकर राजनीतिक गलियारों में जहां तमाम तरह की बातें हो रही हैं, वहीं ज्योतिषियों का एक बड़ा समूह श्रीराम मंदिर हेतु भूमि-पूजन के लिए इस मुहूर्तकाल को सर्वोत्तम बता रहा है. आइये जानें हमारे ज्योतिषाचार्य 5 अगस्त के इस मुहूर्त काल को किन आधार पर सर्वश्रेष्ठ बता रहे हैं.
ज्योतिषाचार्य रवींद्र पाण्डेय के मतानुसार प्रभु श्रीराम जी के मंदिर निर्माण के लिए इससे बेहतर शुभ समय कुछ और हो ही नहीं सकता. इस दिन इस विशेष काल में अभिजीत मुहूर्त और धनिष्ठा नक्षत्र होने के कारण सर्वार्थ सिद्ध का योग बन रहा है, यानी अगर इस मुहूर्त काल में मंदिर के लिए भूमि पूजन सम्पन्न हो जाता है तो मंदिर अपने तय समय पर तो पूरी होगी ही, साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी प्रभु श्रीराम दर्शन हर मनोरथ को पूरा करने वाला सिद्ध हो सकता है. Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में 175 प्रतिष्ठित अतिथियों को दिया गया निमंत्रण
अभिजीत मुहूर्त की महिमा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 5 अगस्त से भाद्रपद का महीना शुरू हो रहा है और सूर्य सिंह राशि में गोचर करने जा रहा है साथ ही इस दिन दोपहर 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकेंड से 47 सेकेंड तक अभिजीत मुहूर्त है और इस मुहूर्त में शुरू किए गए हर शुभ कार्य सुफल देने वाले होते हैं. ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि प्रभु श्रीराम लला भी इसी मुहूर्तकाल में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. सनातन कैलेंडर के अनुसार अभिजीत मुहूर्त को सर्वोत्तम शुभ समय माना जाता है और यह प्रत्येक दिन दोपहर से करीब 24 मिनट पहले शुरू होकर 24 मिनट बाद समाप्त हो जाता है. उदाहरण के तौर पर यदि सुबह 6 बजे सूरज निकलता है तो अभिजीत मुहूर्त 12 बजे शुरू होगा और 12.24 पर समाप्त हो जाएगा. हिंदू धर्म में मान्यता है कि पूरे दिन में 30 मुहूर्त काल होते हैं, जिसमें सर्वोत्तम मुहूर्त यही होता है.
क्या महात्म्य है धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र का
ज्योतिषाचार्य का यह भी कहना है कि भूमि पूजन का कार्यक्रम धनिष्ठा नक्षत्र पर शुरू होगा. आकाश में यह 23 वां नक्षत्र है और इसका स्वामी मंगल माना जाता है. इस नक्षत्र के देवता वसु हैं. इस नक्षत्र का संबंध भगवान शिव और श्रीकृष्ण से भी जोड़कर देखा जाता है. इस कार्यक्रम का अंत शतभिषा 27 नक्षत्रों में 24वें स्थान पर है, इसका स्वामी राहु और देवता वरूण हैं. शतभिषा के बारे में कहा जाता है कि यह यह नक्षत्र 100 अभिलाषाओं को पूरी करता है. इस नक्षत्र का मूल संकेत यह है किमंदिर निर्माण का कार्य निर्विघ्न और समय पर पूरा होगा.
कैसे करेंगे पीएम भूमि-पूजन
मुहूर्तकाल शुरु होते ही मंत्रोच्चारण के बीच प्रधानमंत्री तांबे के कलश में गंगा समेत सभी नदियों से आये जलों, औषधियों, और पंचरत्नों को स्थापित करेंगे. करीब साढ़े तीन गहरे गड्ढे को पाताल लोक सदृश्य मानते हुए शेषनाग को प्रसन्न करने के लिए चांदी का नाग-नागिन और चांदी का ही कछुए भी स्थापित किया जाएगा. पीएम मोदी 32 सेकेंड में ही नंदा, जया, भद्रा, रिक्ता और पूर्णा के रूप में 5 शिलाओं का पूजन करेंगे. कहा जा रहा है कि इसके पश्चात ही श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा.