अयोध्या मामले में फिर टली सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट अब 10 जनवरी को करेगा नई बेंच का गठन

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में आज केवल 60 सेकंड की सुनवाई हुई. इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से कोई भी दलील नहीं दी गई.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद (Ramjanmabhoomi Babri Masjid) भूमि विवाद मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई एक बार फिर टल गई है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में शुक्रवार को केवल 60 सेकंड की सुनवाई हुई. इस दौरान अलग-अलग पक्षों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे (Harish Salve) और राजीव धवन (Rajeev Dhawan) को अपनी बात रखने का कोई मौका नहीं मिला. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (Chief Justice of India Ranjan Gogoi) और न्यायमूर्ति एस. के. कौल (Justice S. K. Kaul) की पीठ ने कहा कि एक उपयुक्त बेंच मामले की सुनवाई की तारीख तय करने के लिए 10 जनवरी को आगे के आदेश देगी.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका भी खारिज कर दी. इस याचिका में अयोध्या मामले को लेकर तत्काल और प्रतिदिन सुनवाई करने की मांग की गई थी. जनहित याचिका नवंबर 2018 में वकील हरिनाथ राम द्वारा दायर की गई थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आज रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला था. इस मामले को देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ के सामने सूचीबद्ध किया गया था. चार दीवानी वादों पर वर्ष 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दायर हुई हैं. यह भी पढ़ें- क्‍या 2000 रुपये के नोट हो जाएंगे बंद? सरकार और RBI ने लिया ये बड़ा फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांटा जाए. कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पिछले महीने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि जब सबरीमला और समलैंगिकता के मामले में कोर्ट जल्द निर्णय दे सकता है तो अयोध्या मामले पर क्यों नहीं. रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि वह व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि रामजन्म भूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो, ताकि इस पर जल्द से जल्द फैसला आ सके.

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